रचनाकार - सुन्दर कबडोला
ना स्वैणु मा भेटँणि तूँ
कैहुर्णि रिसै रैछे तू
कदुकै दिन बिति गै आज
ना चिट्टि कतरि मा बात
थ्वँड स्वैणु मा ऐजा आज
यु जिकुडि तै बुँथै जा सुवा
दिन भैरिक ड्युट्टि मेरी
नि मिलणु टेम लिखणु कू कतरि
नि मिलणु टेम लिखणु कू कतरि
हे सुवा थाकग्युँ मि त्यर मुखडि क जाल
थ्वँड स्वैणु मा ऐजा आज
यु जिकुडि तै बुँथै जा सुवा
कदुकै दिन बिति गै आज
ना चिट्टि कतरि मा बात
दी डबलु मा बण गै स्वैण
आँखा खोलि जै हैग्यु पार
सुखलि सुखलि आँखा मेरी
तड तड सुवा बस तेरी यादा
आँखाण बा झडणि सौण भादोँ क आजा
नि तरणौय गाड़ मैहुणि बुलै ले पारा
थ्वँड स्वैणु मा ऐजा आज
यु जिकुडि तै बुँथै जा सुवा
कदुकै दिन बिति गै आज
ना चिट्टि कतरि मा बात
लेख - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
गलेई - बागेश्वर- उत्तँराखण्ड
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