रचनाकार - सुन्दर कबडोला
हे भगवति माता
सुन माता सुन पुँकार
दर दर भटकि
माँ ममँता दैणु कू प्यासि
बस माता ठोकर छू पायि
आँचल कू यू क्याँरि सूणि
सूणि हैगे जूणि मेरी
हे भगवति माता
तू ले कि नारि
कै एक नारि कि दुख नि जाणि
ज्युँ दे त्वीलै यु नारि रुप
माँ बणकु सुख ले दे
मी लाचार बणिक त्यर थाणो मा
गो हत्या नि बन वे माता
एक नारि माँ नि बन पायि
गो हत्या नि बन वे माता
गो हत्या नि बन वे माता
हे भगवति माता
सुन माता सुन पुँकार
रोज उणाल त्यर लाख भँक्त
कै गिनति नैहेतो भँक्तो मा मेरी
सबकू दिछै मन वाँछित वर तू
जो ऐजा माता त्यर थाणो मा
मी ले कि ऐरु
यु बँजर आँचल त्वैमा फैलि माता
एक अँकुर दे
माँ रुपि एक जूणि दे
ज्युँ दे त्वीलै यु नारि रुप
माँ बणकु सुख ले दे
मी लाचार बणिक त्यर थाणो मा
गो हत्या नि बन वे माता
एक नारि माँ नि बन पायि
गो हत्या नि बन वे माता
गो हत्या नि बन वे माता
हे भगवति माता
सुन माता सुन पुँकार
जबै मैथे बाँजण कुणि
बस म्यर आँखा आँसू रुँ
बस म्यर आँखा आँसू रुँ
बडे आस सै ऐरु माता
सब जाँग फैलि हाथ वे माता
बस निराशा लागि हाथ
साँस सौरा ले कौसि है
स्वामि ले मुख मोडि है
जँग तानोँ सै हारि माता
त्यर चरणोँ मा ऐरु माता
ज्युँ दे त्वीलै यु नारि रुप
माँ बणकु सुख ले दे
मी लाचार बणिक त्यर थाणो मा
गो हत्या नि बन वे माता
एक नारि माँ नि बन पायि
गो हत्या नि बन वे माता
गो हत्या नि बन वे माता
लेख - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
गलेई - बागेश्वर- उत्तँराखण्ड
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