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हंस नै पगली, कईं बबाल है रौल

रचनाकार: श्री शंकर दत्त जोशी  


प्रस्तुत है श्री शंकर जोशी जी की कुमाऊँनी कविता "हंस नै पगली, कईं बबाल है रौल ..":-




यह कविता मुख्य रूप से श्रंगार रस पर अधारित कविता है।  इस कविता में उपमा और उपमानों का प्रयोग आधुनिक परिपेक्ष के आधार पर किया गया है।  क्योंकि शंकर जोशी जी व्यंग्य के कवि हैं तो उनकी इस कविता में भी व्यंग्य का पुट स्वभाविक रूप से मौजूद है।



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