रचनाकार - सुन्दर कबडोला
ईष्ट देव नरँसिगा
जय हो तुमरी जय जयकार
तुमि छा देव ईष्ट देव
ईष्ट देव नरँसिगा
बाँघ रुपि नर बणि
विष्णु रुपि नरँसिगा
शरँणु तेरु जो ऐगाँल
राजि खुशि तो रेजाँल
ईष्ट देव नरँसिँगा
जय हो तुमरी जय जयकार
छतँर छाँया तुमरी देव
दुख दुखैड त्यर शँरण
बिगडि काँज त्वै सँजण
प्रार्थना ल्युँ ऐ ईष्ट
चँक्र चाल देव भुँम
त्वै बरखि आकाश बै
आँखा छुटि आँश तै
या ढुँढू का ढुँढू
बोल दे ईष्ट देव.. का खौजू
अँद परिवार देखि त्वील
कथै बगाँई बोलि त्वील
डौरि गीण ईष्ट देव
गौ मुलुक छाल मा
हे भगवन छल बिछँल
भक्तो मा रोष कैक
भक्तो मा रोष कैक
घर रक्षँक बण रक्षँक
हैसि खेलि त्वै रखै
दिया बाँथि तेल छै
जोत की अणाँर कैक
जोत की अणाँर कैक
गौ वा गौ त्वै घटै
तीर्थ त्वील अर्थ लगै
देवभुमि सँगार क्वै
देवभुमि सँगार क्वै
तुमि छा देव ईष्ट देव
ईष्ट देव नरँसिगा
जय हो तुमरि जय जयकार
फिर ले ऐयू थाँण मा
दिया बाँथि साथ मा
जै हैगो नर बँणरु गलती हे
त्यरो छण सँन्तान हे
क्षमा मागि तुमरि थाँण
गोऊ(गाँय) बनि लाचार छण
गो(गाँय) हत्या नि बनो हो देव
गो हत्या नि बनो हो देव
ईष्ट देव नरँसिँगा
जय हो तुमरी जय जयकार
तुमि छा देव ईष्ट देव
ईष्ट देव नरँसिगा
लेख - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
गलेई - बागेश्वर- उत्तँराखण्ड
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