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बोट (मल्लब चुनाव में भोट)


बोट (मल्लब चुनाव में भोट)

रचनाकार:  रेणुका जोशी


कत्थप उच्च डानाक पार एक गौं में एक आम बड़बाज्जू आपुण मौं दगै रुनेर भाय।  इदुक ठाडि़ धार में भैराक मैस त कम उनेर भाय।  चुनाव पास ऊण पर एक नेताज्यूल बडी़ हिम्मत करि। द्धां फ्वां करबे पहुंच ग्याय बड़बाज्यूक गौं में।  पौंणनैकि औभगत भैयि, खवूंण पिवूंण भौय।  फिर बड़बाज्यूल उनूंधै पुछ -
" पै म्हराज कसिक ऊंण भौ आज हमार गौं में ?"
" बोट चैनी हमूंकं तुमार गौं बै।"
" बोट त हम कैकं नि दिन । सौंग पात ल्हि जांछां , ल्हि जाओ।"
" ना हो , इदु दूर बै हम तुमार बोट मांगुहुं ऐ रयुँ । हमुकं त बोटै चैनी।"
बड़बाज्यूल सोचि पौंण त द्याप्तै चार हुनेर भाय । रिसै जाला त भल नि हौल । एकाद बोट दि दीण चै । पुछ -
" कैक बोट चैनी हो तुमुकं ?"
"सबनाक बोट चैनी हो।"
बड़बाज्यूल सोची सौ, बांज , पौंय , खुमानि , आखोड़ सब्बै बोट चैनी के तकं ? कदुक जै चैन्हाल ?
" बताओ धैं कदु बोट चैनी ?"
"नाननकं छोड़बे जदु ठुल छन ऊ सब्बै बोट चैनी, पुर्रै गौंक बोट चैनी ।"
बड़बाज्यू त अतरी ग्याय तस सुण बे।
" दै, दूद, घ्यू मांगल्हे।  भट, झुंगर, मडु मागल ल्हे।  कुकुड़, बाकार, मौ मांग ल्हे।  पर बोटन कं छुगंण लै नि द्यूल ।"

गौं वाल लै अति रिसै ग्याय। एक जै के, सब्बै बोट मांगणैंकि हिम्मत कसि करि तनूल ?  किलै द्यूं हम सेंती पाली आपुंण बोट।  दै ,रनकरो निपल्ट है जो तुमर।  भाजो यां बै। एक बोट लै नि मिलल।
अघिल अघिल नेताज्यू आपुण फौज दगै धुरकणैंयी।  पिछाडि़ बै गौं वाल। घुरीनै, पड़नै कसिक ज नेताज्यू वां बै भाजि पाय हो ।

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