'

रक्षाधाँग बैणा प्यार भै-बैणि ऐगो त्यार

कुमाऊँनी त्यौहार-जन्यो-पुन्यो, Raksha Bandhan or Kumaoni Janyo-punyo

रक्षाधाँग बैणा प्यार,  भै-बैणि ऐगो त्यार

रचनाकार: सुन्दर कबडोला

“रक्षाधाँग बैणा प्यार
भै-बैणि ऐगो त्यार
भै जूणि कू रक्षा वँर
आज बैणि बाँधि प्रँण”

टिक पिठाँ यूँ धाँगो प्यार
कलाई बाँधि यूँ बैणा त्यार
मुँख मिठै भै-बैणि
ख्वँर आँशिक देवो थाँण
सौरास बै उणि दौडि आज
भै-बैणि कू ऐगो त्यार
भै रक्षा कू जूणि डोर
बैणि बाँधि भै कलाई
सूँत डोरि मा लम्बी जूण
रक्षाबँन्धन नान कै ठुँल
बुराँश काँफो सी बैणि डोर
भैकू ठुँल जूणि ठोर

जैकू हुणि भैजि दूर
बैणा आँखा आँसू छोर
चिट्टी कतरि भैजि प्यार
भैकू लम्ब जूणि त्यार
आ ऐगो रे रक्षाबँन्धन
भै-बैणि अँमृत बँन्धन
भै-बैणि अँमृत बँन्धन
भै जूणि कू रक्षा वँर
आज बैणि बाँधि प्रँण
आज बैणि बाँधि प्रँण
“रक्षाधाँग बैणा प्यार
भै-बैणि ऐगो त्यार”

{शब्द-अर्थ
भैकू-भाई को
भै-भाई
डोर-धाँगा
जूण या जूणि-जीवन}

मिञो रक्षाबँन्धन को बहनो ने
एक प्रँण बाँधा भाई रक्षा को!

“चलिये एक प्रँण करते है हम
कन्या भुर्ण हत्या को रोके हम”



लेख   - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
गलेई - बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ