रचनाकार - सुन्दर कबडोला
तूँ काफल छै
कि तूँ बुँराश
देव-दारा धुँर
म्यर देश कुँमाऊ
“तू नँन्दा वेश
तू भगँवति केश”
सरियु गोमति लहराते खेत
मडुँवा झुँगरा छै कै दन
अल्मोडि धार
रानिखेती रौनक चार
नैनिताल अदँभुत ताल
चार चाँद कि छै कौसानी
बाँगश्रेरि कू देवी थाँण
कोट भ्राँमरि देवी थाँप
घुघति कि है मार्मिक गाँथ
भै बैणि कू बँन्धन मोल
म्यर देश कुँमाऊ बोलि शान
ईजा बोल माया कोष
म्यर देश कुँमाऊ सौकाँरा तौल
तू छै लाट
तू छै बाट
सार कुँमाऊ सँत रँगि गाँठ
लेख - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
गलेई - बागेश्वर- उत्तँराखण्ड
0 टिप्पणियाँ