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कुमाऊँनी कथा - सत्य या असत्य कँथा

कुमाऊँनी काथ -रोज य चेलि ब्वारिया मसौलि बटि अखौलि कूटाल Tale of two sisters


“सत्य या असत्य कँथा”

लेखक - सुन्दर कबडोला

बात उ टैमक छू जबै खेति बाड़ि क पैल चरण सी
पहाड मा ल्वाँरक दी चेलियाक अखौलि अर मसौलि आपसी प्यार अर जिमदारो जे बुत करण क देखि बेर गौ वालु कै दर्प दहा बै जल ग्याँ
गौ क चेलि ब्वाँरियाल उ दी बैणि क बीच मा फूट डालण भँग्या जैक कारण आखौलि मसौलि मा थ्वाँड थ्वाँड झगँड सुरुँ हुण भँग्यो
गौ क चेलि ब्वाँरिया दिणु बैणियक झँगड देख बै भौते खुश हैग्याँ
फिर ले दी बैणि तदुक झँगड करबै अलग नि रै सगणैर भाय
एक दिन गौ क चेलियाल अर ब्वारियाल मसौलि कै भौते भडकै दे
कि अखौलि त्यर रँग रुप देखि बेर जलै अर त्यर बस वैमा बिल्कुल नि चलन
उदिण बटि मसौलि अखौलि कै गधैणक चाँक मा रुणैर भय्य

एक दिण दी बैणि मा भौते झगड हैगोय अर दी का दी शिव तपस्या मा लिण हैग्या
शिव भगवान दिणुक तपस्या से भौते खुश हैग्या अर अखौलि कै पैल दर्शन दिनि- पुञि माँगो कै वर चै अखौलि आपण दुखडा बतै बै कै हे भगवन मिगि यस वर दिया कि म्यर बैण मिगि कदुक ले लडै झगड करो मिगि वैक कै असर नि हो अर बैणि दगै म्यर साथ ले कभै ना छुटो शिव भगवन तषातु कै बै ले जाणि

वैक बात भगवन मसौलि कै दर्शन दिनि अर वर मागु कुणि
मसौलि हे भगवन म्यर बैणि अखौलि म्यर रंग रुप पे दर्प दहा करे अर उ म्यर हबै भौते ताकत वाल छू यैक वैल उ हमेशा कटैल दे
मिगि यस वर दिया, कि मिले आपण बैण क खुबै कूँट सकुँ पर वेक मन मा म्यर प्रति कै ले मन मिटाव ना हो अर हमेशा हम दी बैणि दगडे रु

शिव भगवन तषातू कबै कुनि कि तुम दी बैणियक आपसी प्यार देख बैर मि भौते प्रसन्न छू पर गौ क चेलि ब्वाँरियाल तुम दिणुक बीच ज्यू देष भाव पैद करो य उणर लिजि सुख दुख क कारण ले बनल
अर जब तक य पहाड मा रित रिर्वाज अर सस्कृति रौल तबै तलक तुमर अस्तिव अर पूँजा सदा ह्वँल
य चेलि ब्वारि त्यर इच्छा पुर कराल
रोज य चेलि ब्वारिया मसौलि बटि अखौलि कूटाल, तुम दी बैणिक आपसी प्रेम बटिक य धान मिर्च हल्दी धनि आदि चिज खाण लायक ह्वँल पर य कुटण मा चेलि ब्वारियक हाथण छाँउ (छाँला) पडणक कष्ट मिलल अर तुम दी बैणि जीव ना निर्जव बण बै सदा एक रौला
ये है अखौलि मसौलि कि कथा जो कि आज भी साथ है और आज भी उन बेटियो अर बहुवै के हाथ मे छाले पडते है

कथा का सदेश-
“जस करला वस भरला”
“नक फँसल उगाला, अघिल पिढि के पिढाँला”

इस कथा का सत्यता का प्रमाण नही है पर असत्यता का भी कोई प्रमाण नही

“कथा सत्य एव असत्य पर अधारित है”लेख   - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
गलेई - बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

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