रचनाकार - सुन्दर कबडोला
“मैसल माँट खाँय
माँटल मैस कू
फिर ले मैस कू मैले माँट खै”
सार जँन्म ता दर्प दँहा करि
सुड अनसुडि जै अजाँब करि
दी मँण माँटि या वा सर कुणै रो
ल्यौ ले गो माँटि मा या वा को
बोल ता नै मीठा दे पाय
पैण नानतिणा मा लगै गो हँकार
सार जन्म ता नै पुछि कैकु
नै सुण कैकि अपणु मनक करि
अब दब्यत बनि त्यर हँण्ख पुजै जलि मैसा
तू बाँट बन गैछे अब नयि पिढि कू मैसा
चौ बाँटा नि धरिया खूँटा
अब पितँर बणि गै छे मैसा
दब्यत समान पुजि गैछे मैसा
“बोट कू डाँल
डाँल कू पाँत
बणि गैछा मैसा”
दुँब जस हैगेछा मैसा
सुख दिणै रैया मैसा
क्याप जस नै करिया मैसा
त्वील जाण याबै माँटिल रुण यै मैसा!
त्वील जाण याबै माँटिल रुण यै मैसा!
“कैले गौई बटि मारि मैसा
मिले गुँई बोल बटि मारि मैसा”
लेख - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
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