न्याय करिया ग्वाल्ज्यू
न्याय त तुमरै भरोस भय ग्वाल्ज्यू
देर झन कर्या, भुलै झन दिया।
हातखुट फतोड़ बे द्विर्वाट खाणयू
मुनैइ उठै बे रूंण चानूं
मुनैइ नि कचुनौ कोये
बस इदु कर्या म्हराज
कि ख्वर तली नि हौओ कभैं
पुठ में सिकौड़ मार ल्हिया हो
पेट कं झन लत्याया।
नि कूंल कभैं कि दुख झन दिया
जस लै दिन आल
तुम दैंण रया।
न्याय कर्ता छा ग्वाल्ज्यू
पत्ती धरिया।
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