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पहाड़ से पलायन

रचनाकार:  रेणुका जोशी

पहाड़ से पलायन


पारा भिड़ देखो धैं

कस हरि घा हैरौ।

वैं जानू हिटौ
यां के धरी रौ।

पार पार उनै हम
लफाउ मारि यां ऐ ग्याइ।

आब लागि नरै जब
हात खुट पटै ग्याइ।

जां रुंछा वै रौऔ
द्वि नावन में खुट नि धरौ।

मातृभूमि गर्व करैलि
कर्मभूमिक सेवा करौ।


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