
अरे परुवा जस मैं कूं तू तस कर
रचनाकार: सत्यम जोशी
अरे परुवा तू बस, मातनै य रूंछे
कि कभैं किताबनूक लै मुख चांछै
हां ईजा तू हमेशा तसौ कुंछि
म्यर हंशी ख़ुशिक बुतन पड़ि रुंछि
ईजा खेल लेंकू जरुरी हुन चैंछ
स्वास्थ्य खातिर ले सोचण चैंछ
अरे परुवा देख तू, ज्यादा बात ना करै
जा भीतर जाड़ामन लगै भर पढ़ै
कौन सा तू उसेन बोल्ट बणि जालै
खेल कुदाक चक्कर में आपणि घर कूडि लगालै
अरे परुवा जस मैं कूं तू तस कर
पढ़ाई लिखाई छाड़ि खेल कुदै कि बात झन कर
कि कभैं किताबनूक लै मुख चांछै
हां ईजा तू हमेशा तसौ कुंछि
म्यर हंशी ख़ुशिक बुतन पड़ि रुंछि
ईजा खेल लेंकू जरुरी हुन चैंछ
स्वास्थ्य खातिर ले सोचण चैंछ
अरे परुवा देख तू, ज्यादा बात ना करै
जा भीतर जाड़ामन लगै भर पढ़ै
कौन सा तू उसेन बोल्ट बणि जालै
खेल कुदाक चक्कर में आपणि घर कूडि लगालै
अरे परुवा जस मैं कूं तू तस कर
पढ़ाई लिखाई छाड़ि खेल कुदै कि बात झन कर

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