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साक्षात परमेश्वरक धाम छ नौल


साक्षात परमेश्वरक धाम छ नौल
रचनाकार: सत्यम जोशी

गौंघर पहाड़नक प्राण छ,
हमार संस्कृतिक पछयाण छ नौल।
देविद्याप्तों निशाण छ,
शुद्ध मीठ पाणिक खाण छ नौल।।

उतीस, बाँज, बुरांश, कांफल,
सबैनको वरदान छ नौल।
गोरु, बाछ, बाट ऊन जन्यांकि,
प्यास बुझून्या विश्राम छ नौल॥

नई ब्वारी पछयाण दिनी,
गमरा, विरुड़ ध्वैनक स्थान छ नौल।
गौं घर्नकि भारि जरुरत छ,
जिन्दगीक दुसर नाम छ नौल॥

म्यार मित्रो ये के बचाई राख्या,
साक्षात परमेश्वरक धाम छ नौल।


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