Gopalbaboo goswami : गोपाल बाबू गोस्वामी
मीठी मीठी - 77 : गोपालबाबू गोस्वामी की मधुर स्मृति
कल 02 फरवरी को कालजयी लोकगायक गोपालबाबू गोस्वामी की जयंती थी। उनका जन्म 02 फरवरी 1941 को उत्तराखंड के मल्ला गेवाड़, चाँदीखेत, चौखुटिया में हुआ। माता चनुली देवी और पिता मोहन गिरी के पुत्र गोपालबाबू संस्थागत तौर से 8वीं की परीक्षा नहीं दे सके। बचपन में ही पिता का देहांत हो गया। उन्हें बचपन से गीत गाने का शौक था । 1970 में उत्तरप्रदेश सरकार के गीत - नाटक विभाग ने उस क्षेत्र में इस प्रतिभा को देखा और 1971 में अपने विभाग में नौकरी दे दी। वे गीत गायन के अलावा हारमोनियम और बांसुरी वाद्य में पारंगत थे।

मैंने उन्हें कई मंचों पर अपनी प्रस्तुति देते देखा। आज उन्हें गए हुए 22 वर्ष हो गए। उनके गीत जिन्दे हैं। उन्होंने विशेषतः उत्तराखंड की नारी के विरह को अपने गीतों से उकेरा। वर्तमान में कुछ लोग मंचों पर उनके गीत गाते हैं परन्तु उनका नाम नहीं लेते। बहुत दुख होता है इन स्वनामधन्य गायकों को देख कर। उनका नाम लोगे तो आदर आप ही पाओगे। मैं भी कई बार समाज के हित में गुमानी पंत, गिरदा, गौरदा, शेरदा, हिरदा आदि की रचनाओं का संदर्भ देता हूं परन्तु इससे पहले उनका नाम लेता हूं। मुझे सुकून मिलता है। इस लेख को लिखते समय भी मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं उस अमर व्यक्तित्व के दर्शन कर रहा हूं। इसलिए सभी मित्रों से निवेदन है कि हम जिसकी भी रचना गायें या कविता पढ़ें या लेख का संदर्भ दें, उनका नाम जरूर लैं। यह उन सभी के प्रति कृतज्ञता और शिष्टता प्रकट करने का सुंदर और सरल तरीका तो होगा ही आपके सम्मान की सीढ़ी का पहला पायदान भी होगा।
पूरन चन्द्र काण्डपाल, 03.02.2018
0 टिप्पणियाँ