चुनावों कि हलचल
लेखक: दिनेश भट्ट
उत्तराखंड और पुरा देश का नयं चुनि सांसदों भौत भौत बधै छ।बखत का दगड़ चुनावों का तौर तरिका,बहिस मुद्दा बदलि ग्यान।पैंलि चुनाव घोषणापत्र पर अखबारों में खूब चर्चा हुंथिं।
घोषणापत्र आम वोटरों तक पुजूनांकि कोशिश हुंथिं।
आब् तो लागनौ कि चुनाव पार्टी का नेता पर फोकस हैं ग्यान।
मुद्दा, जनता कि आश् उमीद सब पछिल कै छन।
चुनावों में गालि गलौज, परिवार पर छींटाकशी, जुनूनी भाषण,बिन खुटा मुंडा कि बात पर जोर भ्योछ।
चुनाव जितन खिन बढ़िया प्लानिंग, संसाधनों, पार्टी वर्करों को भल उपयोग,जां जितना कि संभावना थी, वां सही रणनीति का दगाड़, सही टैम पर कोशिश वगैर चुनाव जिताऊ फंडा कारगर छन।समर्पित कार्यकर्ताओं कि ईमानदार कोशिश ले जीत हासिल हुंछिं।
आब् नयं सांसदों और सरकार थैं हम उमींद करनूल कि पहाड़ों कि शिक्षा, स्वास्थ्य समस्याओं, रोजगार, पलायन, उजड़ती खेतिपाति पर गम्भीरता थे ध्यान देते हुए समाधान निकालाल् और सांसद निधि को पुरो उपयोग स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों, रोजगार सृजन पर कराल।
जै हिंद

दिनेश भट्ट, सोर पिथौरागढ़
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