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छोड़ मधनियाँ बल्दक पुच्छड़ - 1


"छोड़ मधनियाँ बल्दक पुच्छड़" भाग (१)

लेखक: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

य बात लगभग ५० साल पुराणिं हनैलि ! हमुल लै य नानछिना सितनत्या इजाक मुख बै कंथ रूपम सुणी हई ! उत्तराखंडाक कुमाऊँ मंडल में अलम्वाड़ जिल्लाक एक दूर गौं में एक लामधोति वाल बामण ज्यू रनेर हाय ! उनार आठ नानतिन हाय ! खेती पातिक नाम पारि ऊनार पास एक हअ भरी पाटव और द्वीय चार हाँग फांग हाय ! उनार खेतीम एतुकै नाज हनेर हौय कि उवील पुर परिवारक रोज एक इकोइक खाण पिंण लै पुर नई हनेर हौय ! बामण ज्यू जजमानि कर बेर जसी तसी आपुण नानतिन सैतण राय ! उनदिना जजमानी में एक द्वीय थोकदारुंकैं छोड़ि बेर बॉकि लगभग सब्बै बार त्योहारूं में एक डबल या द्वीय डबल या तीन डबल और बैकर और कभ्भैं कभ्भैं मुणि साग पात दि दिनेर हाय !

अब टैम दगड़ि सिर्फ नानतिनाकै खर्च बड़नैं गोय ! न खेती बड़ी ! ना जजमानी मैं मिलणी बैकर ! फिर लै बामण ज्यू हिम्मत नई हारि ! बामणज्यू सकर स्कूल पड़ी तै नि हाय फिर लै पढ़ण लिखण और हिसाब जाणनेर हाय ! आपुण ननाक खातिर अब बामण ज्यूल नौकरी कर्णक पक्क मन बनै हाल ! जब य बात बामण ज्यू बामणि ज्यू कैं बतैइ कि बामणी सुण ! अब ऐसी हमार नान नि सैंतियाल ! मकणि अब कै नौकरी चाहण पड़लि ! घराक सब हाल बामणि ज्यू कैं पत्तै हाय ! बामणि ज्यूल लै ना नि कैसकि ! बामणि ज्यूल जबाब में एतुकै कौय ! तहाँ नौकरी इप्पनैं मिल जानि !

दोहारदिन बामणज्यू नै ध्वे बेर भेट पखोव ली देवी थानाक तरफ हैं बाट लै गाय ! देविथान पुजबेर देवी कवचक पाठ करि बेर बामण ज्यूल देवीमाँक चरणों में भेट पखोव चढ़ै दी ! और देवी माँक चरणों में चढ़ाई द्वीय चार फूल पात आशिखाक रूपम ली बेर करम प्रधान मानिबेर सिद्द आपुण घर हणि बाट लै गाय ! जस्सै आधुबाटम पुजा जबति ! पैलाग हो पंडितज्यू कैबेर जोरकि आवाज ऐइ ! बामण ज्यू सामणि देख जबता थोकदार सैप जो गौंक पधान लै हाय उनु दगडि द्वीय पढ़ी लिखी सरकारी सैप जास आदिम दगडै चहाक दुकानम ठड़ी हाय ! राम रमोव हई बाद थोकदार सैपुल कोय पंडित ज्यू यों सैप अलम्वाड ठुल पोस्ट ऑफिस बै येति हमार गौं में नई पोस्ट ऑफिस खोलहैं ऐ रई ! पोस्ट ऑफिस हमारि पधानुकि बाखाईम हमार धुरौटी महाव वाल खनाक गोठ खुलौल ! अब घरपन रणियाँमें म्यार नान भतीज चार पड़ी हौय यों सैंपुल पोस्ट मास्टराक लिजी उकणि धरि है ! तुम भो रात्ति बेररै ऐ बेर एक पाठ पाडि जया !
क्रमशः भाग (२)

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