
फुटबौल
लेखक: दिनेश भट्ट
बीरू आज फिर पी बेर घर ऐरौ। रात का नौ बाजी छन, लेखकघरवालि किचन में खान बणून लागी छ। चेलि, जै थै बीरू छुटकी कू, सिति रैछ। वीक चेलो किसना आडुलम में पेंसिल पकड़ि बेर फाटी कौपि मेंहोमवर्ककरन लागिर्योछ। बीरू ज्वात खोलि बेर हाथ, मूख ध्वीन खिन बाथरूम में ग्यो त वीक घरवालि बड़बड़ान लागि गै"घर में साग-पात के छ नै, पिस्यू ले खतम हनी छ, किसना कि मैडम नय्यां कौपि मगून लागि रैथि। किसनाक बाब क लच्छन तस छन। कसिकै पालिनी इन नानतिन।"
भ्यार बठे आइ बेर बीरू किसना थै कुन बैठयो- पढ़रे पोथी पढ़ नतरि मेरि जसीकै तू लै फुटबौल बणि जाले। ठ्याकदार पांच हजार है मलि बड़न नै, घर को खर्च पुरीन लागिऱ्या, काम रात्तै आठ बाजी है रात आठ-साढ़े आठ तक... दिन भरि मिस्त्री मजदूरन का दगड़ किच-किच, ओवर सियर, जेई. किधमकि अलग, सब साला माल काटन में छन, गालि खाण खिन बिरूवा रैग्यो एक। बीरू कि घरवालिलाटा पकै बेर किसना के खवै बेर बीरू कि थालि वी तर्प करि दी। बीरू खै पीबेर अपनि खाट में पड़ि ग्यो।
बीरू कि घरवालि सोचन लागि- दस-बार साल पैंली बीरू फुटबौल को नामी खिलाड़ी थ्यो। कस नजुध्यो फुटबौल, चार-चार खिलाड़िन दगदै छकनेर ध्यो, लुकिलकि बेर बीरू क मैच देखन कतुक बखत उले देवसिंह फील्ड जानेर भै। ई यीरू आज खुद फुटबौल बणि ग्यो। फुटबौला का चक्कर में दस पास नै करि सक्यो। नरदा मास्साब कतुक समझूनै रया-बीरू पढ़न में ले ध्यान दे। दस-बार पढ़ि बेर फौज, बीएसएफ में भर्ती होलै। वां भौत अघिल जाल,सुविधा और कोच ले भल मिलाल। पर किसमत में धाक्का खान हुनाल...। कतुक खुट्टा टोड़ाया फूटबीलाक खातिर, जब गोल करथ्यो, मैच जितै दिध्यो, खूब इज्जत हुँथि, नार लै लागया .... परिवारकि जिम्मेदारी खार में ऊन पर फुटबौल छुटि। संगी-साथी छुटया, आवत जिंदगी फुटबौल है गै। ...


दिनेश भट्ट, सोर पिथौरागढ़
0 टिप्पणियाँ