
हर्याला कि सबन भौत भौत बधै छ
एक हर्याला गीत
बोट् लगूंला, बोट् बचूंला
ओ दाज्यु भुला हम्
बोट् लगूंला, बोट् बचूंला
ओ दिदी बैनि हम्
बोट् बचला पानि बचोलो
हर्याला मनूला हम्
ओ हो हरि भरि जब् धर्ति बनूला,
ओ हो हरि भरि जब् धर्ति बनूला,
गीत गांला छम्
बोट् लगूंला बोट् बचूंला
ओ काका काखि हम्
बोट् बचला फल लागाला,
बोट् बचला फल लागाला,
तुम खाला और हम्
हरि भरि यो धर्ति बनूला,
हुड़ुक बाजोलो घमा-घम्
बोट् लगूंला बोट् बचूंला
बोट् लगूंला बोट् बचूंला
ओ दाज्यु भुला हम्।

दिनेश भट्ट, सोर पिथौरागढ़
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