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शेर सिंह बिष्ट, शेरदा अनपढ़ - कुमाऊँनी कवि 09

शेरदा की कविता ,कुमाऊँनी भाषा की कविता "तीन चेलि"- Kumauni Kavita Sherda ki kavita

शेरदा की लोकप्रिय कुमाउँनी कविता "तीन चेलि"


शेरदा की एक बहुत ही लोकप्रिय कुमाउँनी हास्य रचना है, "तीन चेलियांक किस्स आपुण सौरासाक बार में"।  इसमें एक ही गाँव की ससुराल से अपने मायके को जाती तीन बहु-बेटियों का वार्तालाप है जो अपने ससुराल के बारे में एक दुसरे को बता रही हैं।  कुमाउँनी भाषा की यह बहुत ही उत्तम रचना है जिसमें तीन महिलाओं के वार्तालाप को शेरदा ने बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है:-

ब्वारि आपुण सासूक बार में
        
महिला अपने सास के बारे बताती है

दीदी कि सुणु सासू बार में
सास ज्ये कि छू,

दूतणि छू
और फ़िर मी थैं त,

 ज्यूनै भूतणि  छू
 

दिन भर 
कचकचाट त करिं
धानक चार 

अल्बलाट करिं
 

बिराऊ चार 
किकाट करिं
और मूसै चार

 चिचाट करिं
 

नॉन च्येल हु 
भूति रिं
और ठुल च्योल कै 

बूकू हु जिं
 

ज्याठ ज्यूँक ख्वारन 
जाँठ तोड़ राखि
और सौर ज्यूक पुठाक 

भांट तोड़ राखि

सास जै कि छू, 
एक पैग जनम रै
दै हाई तस सास है बेर, 

मी नि सासू भलि 

सुनिये शेरदा का कुमाऊँनी किस्सा "शेरदाक किस्स-ब्वारि आपुण सासूक बार में....." शेरदा के स्वर में:-


पिछला भाग-८) .............................................................................................................(कृमश: भाग-१०)


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