
शेरदा की लोकप्रिय कुमाउँनी कविता "तीन चेलि"
ब्वारि आपुण सासूक बार में
महिला अपने सास के बारे बताती है
दीदी कि सुणु सासू बार में
सास ज्ये कि छू,
दूतणि छू
और फ़िर मी थैं त,
ज्यूनै भूतणि छू
दिन भर
कचकचाट त करिं
धानक चार
अल्बलाट करिं
बिराऊ चार
किकाट करिं
और मूसै चार
चिचाट करिं
नॉन च्येल हु
भूति रिं
और ठुल च्योल कै
बूकू हु जिं
ज्याठ ज्यूँक ख्वारन
जाँठ तोड़ राखि
और सौर ज्यूक पुठाक
भांट तोड़ राखि
सास जै कि छू,
एक पैग जनम रै
दै हाई तस सास है बेर,
मी नि सासू भलि
सुनिये शेरदा का कुमाऊँनी किस्सा "शेरदाक किस्स-ब्वारि आपुण सासूक बार में....." शेरदा के स्वर में:-
महिला अपने सास के बारे बताती है
दीदी कि सुणु सासू बार में
सास ज्ये कि छू,
दूतणि छू
और फ़िर मी थैं त,
ज्यूनै भूतणि छू
दिन भर
कचकचाट त करिं
धानक चार
अल्बलाट करिं
बिराऊ चार
किकाट करिं
और मूसै चार
चिचाट करिं
नॉन च्येल हु
भूति रिं
और ठुल च्योल कै
बूकू हु जिं
ज्याठ ज्यूँक ख्वारन
जाँठ तोड़ राखि
और सौर ज्यूक पुठाक
भांट तोड़ राखि
सास जै कि छू,
एक पैग जनम रै
दै हाई तस सास है बेर,
मी नि सासू भलि
सुनिये शेरदा का कुमाऊँनी किस्सा "शेरदाक किस्स-ब्वारि आपुण सासूक बार में....." शेरदा के स्वर में:-
( पिछला भाग-८) .............................................................................................................(कृमश: भाग-१०)
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