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कस छ य टैम

-----*कस छ य टैम*-----
 (रचनाकार देवेन्द्र सती)

किलै दगाड़ मे रे बे दूर रुण चाछै
किलैकी तू त हर बखत याद ऊछै
तू त चुप रै बे ले क्यै कुण चाछै

लेकिन समझ नी आय तुमार मन मे क्ये छु
क्यै कैबे य गिच चुप रुण चा
मगर य मन चुप रुण नी चा
क्यै बात सुण बै य मन खुशी हुरों
मगर तुमार दिल क य दर्द महसूस नी हुरों
किलै दगाड़ मे रे बे दूर रुण चाछै

पैली त तू य बता म्यर मनक करीब किलै आछै
किलै तू म्यर दिल क धड़कन रोकन चाछै
किलै अगॉव(गले लगाना) लगे बे अलविदा कुण चाछै
किलै इंतजार करैबै इंकार करण चाछै
किलै दगाड़ मे रे बे दूर रुण चाछै

बदय्ल ल्यों आपुण मन क भैम
मित्रों हमूहु मिलुहू ले निकालों कुछ टैम

धन्यवाद


 
कविता देव सती, 
चौबटियक थोड़ तलि बटि,पपनैपुरी पाखुडा़

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