
द्वि ऑखर
हर साल
हर साल रावण जलाई जाॅछ
कतुक जाग् आजि रावण उपजि जाॅछ
लछमन जस् भाई क्वे नहातिन
विभीषण हर घर पाई जाॅछ
राम जस् शौर्य आब् काॅछ्
भरत जस् धैर्ज आब् काॅ पाइछ्
राकसीलीला घर घर छन
मंदोदरी और सुलोचना आब् काॅ छन
लछमन जस् भाई क्वे नहातिन
विभीषण हर घर पाई जाॅछ
राम जस् शौर्य आब् काॅछ्
भरत जस् धैर्ज आब् काॅ पाइछ्
राकसीलीला घर घर छन
मंदोदरी और सुलोचना आब् काॅ छन

सीता हरण रोजै हुॅछ
अगिनी परिच्छा लै हुनि रूॅछि
धरति बार बार फाटते रूॅछि
अहिल्या क तारन आब् को करोलो
शाप मुक्ति कि जुगत को बतालो
हर साल हम रावण जलूनूॅ
हर साल हम और ज्यादे रावण है जानू
दिनेश भट्ट, सोर पिथौरागढ़
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