
(भोले शंकर का घड़ी वाला मंदिर)
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(लेखक: जगमोहन साह)
(लेखक: जगमोहन साह)
अल्मोडा़ शहर के बीचौबीच बना यह भोले शंकर का मंदिर, अब चारों ओर इमारतों के बनने से, पूरी तरह से घिर चुका है। 1860 में अल्मोडा़ की प्रथम रामलीला इसी मैदान में हुई थी। आज इस मैदान में अस्पताल और होटल बन चुके हैं।
दन्या के दीवान कहलाने वाले श्री बद्री दत्त जोशी ने इसे बनाया था। इसलिए यह शिव मंदिर बद्रेश्वर कहलाता है। इसमें मंदिर के ऊपर में एक बड़ी घड़ी श्री जोशी जी ने बाद में सन 1886 में लगाई थी। जो इसे अन्य मंदिर से अलग रखती है। हाल में मंदिर का जीर्णोद्धार व रंग रोगन किया गया है।
मंदिर के पास एक बावडी (बद्रेश्वर नौला) है, इसका विवेकानन्द पर्वतीय कृर्षि अनुसंधान संस्थान अल्मोडा़ द्वारा गोद लेकर जीर्णोद्धार किया गया है, जो एक अच्छी पहल है।

जगमोहन साह जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी पर पोस्ट
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