
"छोड़ मधनियाँ बल्दक पुच्छड़" भाग (४)
लेखक: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
इदान बामण ज्यू दोहर दिन फिर कानिम एक खालि झ्वल लटकैबै पोस्ट औफिस हैं चल दी !
पोस्ट आफिस में नयी नयी बनीं पोस्टमास्टर ( पधानैल ) पंडित ज्यू पैलाग कै बेर फिर आधुक पहाडि आधुक हिन्दी झाड़ि " सुणो पण्डित कल ठुल सैप कह गये थे आज से तमको यहाँ से अल्मोड़ा वाले घोड़ी सड़क में रोज यहाँ से डाँक का थैला लि जाना पड़ेगा ! और ठीक्क आघुक .बाट में भकोरियैकि धार में तमको अल्मोड़ा से इथाँ को डाकलाने वाला ईडियार ( E D R ) मिलेगा उससे रोज डाँक का थैला साँट बदल कर फिर यहीं वापस लाना है ! अब जाओ फिर दसेक मैल (मील) का रास्ता है !
पण्डितज्यूल ठीक छू सैप कैबेर हिटते बने !
पोस्ट आफिस में नयी नयी बनीं पोस्टमास्टर ( पधानैल ) पंडित ज्यू पैलाग कै बेर फिर आधुक पहाडि आधुक हिन्दी झाड़ि " सुणो पण्डित कल ठुल सैप कह गये थे आज से तमको यहाँ से अल्मोड़ा वाले घोड़ी सड़क में रोज यहाँ से डाँक का थैला लि जाना पड़ेगा ! और ठीक्क आघुक .बाट में भकोरियैकि धार में तमको अल्मोड़ा से इथाँ को डाकलाने वाला ईडियार ( E D R ) मिलेगा उससे रोज डाँक का थैला साँट बदल कर फिर यहीं वापस लाना है ! अब जाओ फिर दसेक मैल (मील) का रास्ता है !
पण्डितज्यूल ठीक छू सैप कैबेर हिटते बने !
उदान मदनसिंहाक घर कैं पूछ करणिंयाँक लैन लागी हई !
पक्क प्रोफेसनल पुच्छार ठैरा मदनसिंह दिन बार चहै बेर ही पूछ करने वाला
ठैरा ! मदन सिंह छः झप्यौट! देव हंक रोष दोष सब पूजने वाला ठैरा ! उपनाँक
आठ दस गौनूँ में कैं लै काव बकरक पाठ पैद है गोयअ जबता तो उनूँल मदनसिंह
हैं जबाब भेज दींण हौय किलैकि मदनसिंहाक छः झप्पयट ! हंक ! रोष ! तोष मसाण!
पुजणम अधिकतर कावै बाकर चढ़वानेर हौय ! अब पठॉक ठुल बाकर हणोंक इन्तजार को
करनेर हौय ! मदनसिंह नान नान पठाँकि लै भलि कीमत द्विवै दिनेर हौय !
इदान मदन मदन सींग बल्दूँक ग्वाव हैं बाट लाग उदान ! दूर भकोरियैकि धार
में पण्डित ज्यू अलम्वाड़ बै डाँक ल्याणिंक इन्तजार में भै राय ! तीन घन्ट
इन्तजार करि बाद अलम्वाड बै डाक ल्याणि आदिम भकोरियैकि धार में ऐ पुज ! राम
रमोव हई एक दाेहरौक नाम पत्त पूछ फिर अलम्वाड़ बै आई डाकहलकरैल ( EDR )
पण्डित ज्यूँकै कै एक सील बन्द थैल दी !
और एक भाला जसि लट्ठी लै दी जैक पारि आठदसेक घुंघुर लै बाँधि हाय !
और समझाय य भाला य थैलैकि और आपुणिं रक्षा करणाँक लिजी छू ! य थैल पारि लागि सील झन टूटण दिया आपुण पोस्टआफिस पुजँण तक !
और एक भाला जसि लट्ठी लै दी जैक पारि आठदसेक घुंघुर लै बाँधि हाय !
और समझाय य भाला य थैलैकि और आपुणिं रक्षा करणाँक लिजी छू ! य थैल पारि लागि सील झन टूटण दिया आपुण पोस्टआफिस पुजँण तक !
फिर द्वीयै झणि आपुण आपुण बाट हिट दी !
काई खोईक गध्यार तक पुजँण तक पण्डित ज्यू कै घुप्प अन्यार हो गोय ! उदान
मदनसिंह कैं लै ग्वाव जाई में द्वीय चिलम लगैबेर नीन ऐ गेई ! जब आँख खुला
तो अन्यार है गोय ! मदनसिंहैल आव देखअ न ताव द्वीयै बल्द चहैबेर घर है
धुरकै दी ! अब संयोग यअस बन आघिन आघिन बल्द और मदन सिंह पिछाड़ि बै भाला जसि
लट्ठी टेकने बामण ज्यू ! छम्म छम्म आवाज करनै बाट लै राय !
अब भय्या छम्म छम्म आवाज सुणिं बै पुच्छयार मदन सिंहैकि लै मुणि मुणि हाव टाइट हण भै गेई !
बस उ हिट हौसियाँ हिट कईया कनै रौय ! मदन सिंह लै पुच्छार हौय सबुकैं उवील समझाई हौय क बल्दौक पुच्छड़ पकड़ि हौय तो छः मसाण के नि लागून ! फिर लै उवील पलटि बै नि चाय !
पण्डित ज्यू समझि गआय कि मदन सिंह कै डर लै गे ! मन मनै कौय रे मघनिंयाँ दुनियौक छः त्वील झाड़ ! जाग आज त्यर छः मैं झाड़ि दिनु ! चल इन्तयान दी हैं तैयार है जा !
आधिन बै कई बल्द फिर हंसिया फिर हसियौक पुच्छौड़ पकड़ि बै मदन सिंह पचास कदम पिछाड़ि बै बामण ज्यू लट्ठी टेकने छम्म छम्म करते आँ राय !
अब पण्डित ज्यू आपुण कानिम लटकाई लाल झाड़न ( तौलिया ) मुख पारि लपेट बे जोरैल जोरैल कौय " छोड़ मघनियाँ ब्लदक पुच्छड़" - छोड़ मघनियाँ ब्लदक पुच्छड़ !
अब भय्या छम्म छम्म आवाज सुणिं बै पुच्छयार मदन सिंहैकि लै मुणि मुणि हाव टाइट हण भै गेई !
बस उ हिट हौसियाँ हिट कईया कनै रौय ! मदन सिंह लै पुच्छार हौय सबुकैं उवील समझाई हौय क बल्दौक पुच्छड़ पकड़ि हौय तो छः मसाण के नि लागून ! फिर लै उवील पलटि बै नि चाय !
पण्डित ज्यू समझि गआय कि मदन सिंह कै डर लै गे ! मन मनै कौय रे मघनिंयाँ दुनियौक छः त्वील झाड़ ! जाग आज त्यर छः मैं झाड़ि दिनु ! चल इन्तयान दी हैं तैयार है जा !
आधिन बै कई बल्द फिर हंसिया फिर हसियौक पुच्छौड़ पकड़ि बै मदन सिंह पचास कदम पिछाड़ि बै बामण ज्यू लट्ठी टेकने छम्म छम्म करते आँ राय !
अब पण्डित ज्यू आपुण कानिम लटकाई लाल झाड़न ( तौलिया ) मुख पारि लपेट बे जोरैल जोरैल कौय " छोड़ मघनियाँ ब्लदक पुच्छड़" - छोड़ मघनियाँ ब्लदक पुच्छड़ !
अब भय्या मदन सिंहाक डराक मारि हाल बेहाल ! उवील समझ य काई गध्यरौक मसाण
आज म्यर पिच्छ पड़ि गो ! उ दैंण हाथपारिक सिकडैल बल्द कै चटकानैं रौय और बौं
हाथ पारि बल्दौक पुच्छड़ पकड़ि बेर मदन सिंहैल सिद्द आपुण छनाँक गुठ्यारम ऐ
बै साँस ली !
और बामण पुजिगाय आपुँण घर !
और बामण पुजिगाय आपुँण घर !
य कंथ यैं समाप्त है गे हो !
अब आघिन के ?
के ना !
शायद क्वे नई कंथ सुणोंल !
अब आघिन के ?
के ना !
शायद क्वे नई कंथ सुणोंल !
0 टिप्पणियाँ