
"छोड़ मधनियाँ बल्दक पुच्छड़" भाग (६)
लेखक: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
अब अमूसिक दिनौंक कराड़ धरि बाद मदन सिंह मुणिं शान्त है गोय ! उदान बामण ज्यू लै घर पुजि बाद खाँ हैं खै पी बेर चाखम सगड़ाक आघिन बै आग तापहैं भै गआय ! बामणिज्यू और उनैर ठुलि चेलि भ्यार पन्याणँम लालटीनाँक उज्यावम भानकुन माजण राय ! और उनार चार नान नान मालखन टुप्प हणिगॉय और तीन नान लम्फूक उज्यावम जोरैल आँखर पढ़ण राय ! फिर जरा देर बाद बामणि ज्यू लै सब काम निपटै बै सगड़ाक सामणिं आग तापहैं ऐ गेई ! और बामण ज्यू हैं नई नई नौकरिक पैल दिनाँक बारे में पूछण भै गेई ! बामण ज्यूल लै दिन भरीक सब बात बामणि ज्यूकैं बतै दी ! मधनियैंकि बात सुणि बै बामणि ज्यूकैं हैंसि पैलि तै हैंसि ऐई ! फिर उनुल बामण ज्यू हैं डरीमनैल कौय :- पै अगर उ मघनीं कैं के है जानों तो मैंस हमुकैं नौं धरन ! जबाब में बामणज्यूल कौय :- काव खामछौ उ मघनीं कैं ! रात अघरात गध्यार और तिथाणूँ में छौ मसाण पुजैहैं जाँ ! वैहबै मसाण लै डरनेर !
य बात सुणि बै बामणिज्यूक मनैकि डर मुणिं कम है गेई ! और बामणि ज्यूल मन मनैं सोच् कि कभै कभैं यौं नान कंथ कहानी सुणाणैकि जिद करनी तो अब मैं उनकैं एक नई कहानि " छोड़ मघनियाँ बल्दौक पुच्छौड़ " सुणौंल !
उदान मदनसिंह कैं रात भरि नींन नि ऐई ! किलैकि आज तक उवील ट्वाल देखी हौय ! लमथरयाँणिं मसाण महसूस करी हौय ! सैंणिंयाँ पारि और चेलयाँ परि बुलाणि मसाण देखी हौय ! पर आज पैलीबार घुँघुर बजाणियाँ और अवाज लगाणिं मसाण महसूस कर ! दिशाँणम पसरि बै ! सोचन सोचनैं मदनसिंहैकि पूरि रात काटि गेय !
द्ववाहार दिन फिर बामण ज्यू आपुँण ड्यूटि गअाय और मदन सिंह दासूँकि बाखई ! दासूँकि बाखई में पुजि बै मदनसिंहैल हरिरामाक घराक भ्यार बै आवाज लगैई हरदा ! ओ हरदा ! काँ छै ? भतेर बै आवाज ऐई उँ तै धार पौर जै रईं उति दय्पपुजै छू कैकी ! व्याखुलि तक ऐंल ! मदन सिंहौल भ्यारै बै पुछ तु को उनैरि ब्वारि ?
भतेर बै आवाज ऐई - होई !
द्ववाहार दिन फिर बामण ज्यू आपुँण ड्यूटि गअाय और मदन सिंह दासूँकि बाखई ! दासूँकि बाखई में पुजि बै मदनसिंहैल हरिरामाक घराक भ्यार बै आवाज लगैई हरदा ! ओ हरदा ! काँ छै ? भतेर बै आवाज ऐई उँ तै धार पौर जै रईं उति दय्पपुजै छू कैकी ! व्याखुलि तक ऐंल ! मदन सिंहौल भ्यारै बै पुछ तु को उनैरि ब्वारि ?
भतेर बै आवाज ऐई - होई !
पै तु म्यर य जबाब कै दियै हरदा हैं कि व्याव कनैं एक चक्कर मलबाखई ऐ जयै ! मैं मदन सिंह छू हाँ ! पक्क जबाब कै दियै हाँ ! में व्याव कनै उवीक इन्तजारम रौंल ! भतेर बै आवाज ऐई हो होई कै दयूल !
अब कहानि आघिन सुणाँण है बै पैलि " हरिराम " (हरदाक ) लै परिचय सुणिं लियो ! हर औलराउन्डर है ! जगरी लै हौय ! डंगरी लै हौय ! और पुच्छयार लै हौय ! मदन सिंहाँक आँगाक दयप्त कैं टिकौंण दिवाणम् जगरी हरदाअ हौय !
अब कहानि आघिन सुणाँण है बै पैलि " हरिराम " (हरदाक ) लै परिचय सुणिं लियो ! हर औलराउन्डर है ! जगरी लै हौय ! डंगरी लै हौय ! और पुच्छयार लै हौय ! मदन सिंहाँक आँगाक दयप्त कैं टिकौंण दिवाणम् जगरी हरदाअ हौय !
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