
"छोड़ मधनियाँ बल्दक पुच्छड़" भाग (८)
लेखक: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
ऐल तक आपुँ लोगुँल पढ़ौ कि कसिक नान सैंतणाक लिजी बामण ज्यूल पलायन करण है
बेर भौल डाकहलकारैकि नौकरी समझी और पकड़ि ली ! फिर छोड़ मधनियाँ बल्दौक
पुच्छौड़ कै बेर मदन सिंहौक छः झाड़ ! फिर
मदन सिंहाक जब के समझ में नि
आयो जबता उवील आपुँण गुरु डंगरी हरि राम ( हरदा ) कैं घर बुलाय ! आते ही
द्विनुकै के बीचम् कुछ देव शुद्धि में और कुछ नर शुद्धि में उड़दाड़ है गआय !
और हरदाल आपुणि मुनई आपुण घुना में टेकि दी !
अब आघिन !
अब आघिन !
जब
तीन चार मिनट तक हरदाल आपुण घुनम बै आपुण मुनई नि उठाई तो मदन सिंह उवीक
मुखाड़ कणिं जै बै बैठि गोय ! और जोर जोरैल कौंण भै गोय कि कौस छ्ल मसाण हौय
यार य यैल मकणिं घेरौ घेर ! म्यर गुरु लै घेरि दी ! मदनसिंहाक मुख पारि बै
एतुक शब्द छुटते ही हरदाल मुनई टकटकि करि बै मदनसिंहाक उज्याणिं हैं रग्ग
कैबेर चहाने कौय ! खबरदार !
गुरु चोर ! हराम खोर नि हौंण चैंन ! जब सब आपुँण मनाक है गया तो यसम गुरु के करौल रे सौकार ! गुरु लै टोपै मारौल !
गुरु चोर ! हराम खोर नि हौंण चैंन ! जब सब आपुँण मनाक है गया तो यसम गुरु के करौल रे सौकार ! गुरु लै टोपै मारौल !
" स्याँपाक खाई में ! बिच्छूक चटकाईयाक मन्तर जै के गरजनी रे ! मन्तर स्याँपाक खाईयाक लागाल !
जब तहैणि कै हालौ कि दौहौक पिणै गो तकणि बामण ज्यूक ! फिर लै तू उल्टा उल्टाहैं जालै !
त्यर च्यल इस्कूलम बै आज पाटि फोड़ि ल्याय ! कमेटुकि दवात फोड़ि ल्याय और रुनै रुनै घर आय ! अब तू यैक दोष देवाक ख्वरम् धरि दे ! या उ मसाणाक ख्वरम धरि दे ! जैकें तू सतनौंज दिणीं बन रछैं रे !
हरदाक मुखम् बै ऐतुक शब्द सुणते ही मदन सिंह जै गुरु कौय ! और पिछाड़ी बै मदन सिंहैंकि सैणिंल कौय ! ह्य हौय साँच्च देव गुरु ! कि म्यर भौ इस्कूलम बै रुनै आय ! दबात खेड़ि आय पाटि फोड़ि ल्याय ! य बात एैल तक मैल आपुँण ब्यौलकणिं सासु कैं नि बताई हई ! उ बात लै गुरूल खोलि दी ! फिर उव्वीलआपुँण ब्यौलैहैं कौय कि सुणमछा !
जब तहैणि कै हालौ कि दौहौक पिणै गो तकणि बामण ज्यूक ! फिर लै तू उल्टा उल्टाहैं जालै !
त्यर च्यल इस्कूलम बै आज पाटि फोड़ि ल्याय ! कमेटुकि दवात फोड़ि ल्याय और रुनै रुनै घर आय ! अब तू यैक दोष देवाक ख्वरम् धरि दे ! या उ मसाणाक ख्वरम धरि दे ! जैकें तू सतनौंज दिणीं बन रछैं रे !
हरदाक मुखम् बै ऐतुक शब्द सुणते ही मदन सिंह जै गुरु कौय ! और पिछाड़ी बै मदन सिंहैंकि सैणिंल कौय ! ह्य हौय साँच्च देव गुरु ! कि म्यर भौ इस्कूलम बै रुनै आय ! दबात खेड़ि आय पाटि फोड़ि ल्याय ! य बात एैल तक मैल आपुँण ब्यौलकणिं सासु कैं नि बताई हई ! उ बात लै गुरूल खोलि दी ! फिर उव्वीलआपुँण ब्यौलैहैं कौय कि सुणमछा !
भो तुमुकैं मास्टर सैपुंल स्कूल बुलै रौ ! मैल जबाब कै हैं
हाँ ! अब तुम जाणों ! या देव जाणों ! या मास्टर जाणों ! मैं गोय य छान हैं
गोरू भैंस पिवाहैं ! ऐतुक कैबेर मदनसिंहैंकि सैंणि बाल्टी हलोउनै टम्म छम्म
आवाज करनै छान हैं बाट लै गेई ! उ यास रैखाई तै रौज्जै देखनेर हई ! अब मदन
सिंहैलि फिर कौय जै गुरु ! पै दे आदेश ! अब मदन दा जोशम् आयौ हरदा शान्त
है गोय ! हरदाल समझाय देख मदन सिंहा बात समझणैंकि य हई कि अल्लै ठाकुराणिं
छान हैं गेई तो टम्म छम्मैकि आवाज आँण रछी नैं ! मदनसिंहैल तुरन्त जबाब दी
कि उ तै भैंस पगुराहणिं पाणिं धरि छी बाल्टीम उव्वीक आवाज छी !
हरदा
तुरन्त कौय :- ह्य तै मैं लै तकणि समझाण पारि लै रयूँ कि " अणदेखि चोर बुब
बराबर " ! अगर य आवाज तकै कै और जाग कैं रातम सुणाई दिनी तो तू इकणिं लै छः
मसाणैं माननैं ! खालि रौखाई ठीक नि हई यार भुला ! इमैं न त्यार हाथ के
लागणियां न म्यार हाथ के लागणिं ! आपुँण पारिक मसाण पुजियौक बाकर तू खै नि
सकनेर हयै ! और म्यर मन बाकर खाँ हैं नि है रौय ! मदन सिंहैल हरदा है पूछ !
पर यार हर दा तू एक बात बता तकैं कसिक पत्त लागौ कि म्यार च्यैलैल आज पाटि
फोड़ी रै कैबेर ! हरदाल लै मदन सिंहैंकैं साँचि बतै दी कि अल्लै तुमार येति
हैं आँण में बाट पन नानतिन खेल लै रछी ! और जोरैल ! जोरैल कौंण लै रछी !
" मधनी पुछयारैकि इज हई लाटि !
लाटिक नातिल आज फोड़ि दी पाटि ! "
" मधनी पुछयारैकि इज हई लाटि !
लाटिक नातिल आज फोड़ि दी पाटि ! "
ऐतुक सुणते ही मदन सिंह फिर चमिकि गौय ! लाटि जै के हई यार हरदा हमेरि इज
! जरा क्वे क्वे शब्द कणम् अटिकी जैं बस ! कैक छीं उ कट्ठुवा नान ? हरदा
जबाब दी नान तै उँ जैक हनाल मैल सकल नि देखि हाँ पा बामणुकि बाखईक तिराई पन
बै आवाज आँण रैछी !
मदनसिहैल कोय हो होय मैं समझि गोयूँ यास उपट्यापि नान बामणुकैं हाय हो ! बस अब तू बता हर दा कि मैं आघिन के करुँ ? हरदा कौय देख य केस में छः मसाणोंक चक्कर कैं भुलि जा ! फिर लै त्यार मन नि मानण रयौ तो एक टिक गुरू तरुफ बै त्यार ख्वार पारि बभूत टेकि दिनुँ !
और अगर दौहक जौस लै समझै ! तो तू बामण ज्यूक घुन और कुहुन धोईयौक पाणिक अनुपान करि ले ! सब समझाक फेर हाय ! तू जसिक भली समझछै ! हाँ भोअ आपुँण च्यलाक इस्कूल जाँण झन भुलियै ! ल्या ह्य सगड़ाक दान पारि बै एक चुटकी खारूण ल्या मैं उवीक बभूत टेकि दिनूँ !
बभूत लगै बै हरदा आपुँण घर हैं बाट लै गोय!
मदनसिहैल कोय हो होय मैं समझि गोयूँ यास उपट्यापि नान बामणुकैं हाय हो ! बस अब तू बता हर दा कि मैं आघिन के करुँ ? हरदा कौय देख य केस में छः मसाणोंक चक्कर कैं भुलि जा ! फिर लै त्यार मन नि मानण रयौ तो एक टिक गुरू तरुफ बै त्यार ख्वार पारि बभूत टेकि दिनुँ !
और अगर दौहक जौस लै समझै ! तो तू बामण ज्यूक घुन और कुहुन धोईयौक पाणिक अनुपान करि ले ! सब समझाक फेर हाय ! तू जसिक भली समझछै ! हाँ भोअ आपुँण च्यलाक इस्कूल जाँण झन भुलियै ! ल्या ह्य सगड़ाक दान पारि बै एक चुटकी खारूण ल्या मैं उवीक बभूत टेकि दिनूँ !
बभूत लगै बै हरदा आपुँण घर हैं बाट लै गोय!
क्रमश: भाग (९)
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