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ईज बोज्यू व घराक ईष्ट


--*ईज बोज्यू व घराक ईष्ट*--
 (रचनाकार देवेन्द्र सती)

ईज बोज्यू क सेवा कर ल्यों
तुमार चार धाम है जाल
जप ल्यों आपण ईष्ट क नाम
बिगडी तुमार सब काम है जाल

ईष्ट देवों हूनैं तू किलै छे परेशान
ईज बोज्यूक सेवा मे छ हर समस्या क समाधान
जप ल्यों ईष्ट क नाम तुम द्वी हाथा के जोडि
ईज बोज्यूक सेवा छ सार मुसीबतों तोड़

जीवन जस पापों क गध्यार मे ईष्ट देव छ पुल
ईज बोज्यूक सेवा पार लगे दूनी मे उनेके नै भूल
घराक ईष्ट सबूक छ कभै उनुके ले भज बैर देख
बनेलि तुमरि ले बिगडि ईज बोज्यूक सेवा करबै देख

ईष्ट क महिमा जैल नी जाणि
उ छ मुर्ख महा अग्यानि
ईज बोज्यूक सेवा जो करु बिक नी हून कभै हानि
ईज बोज्यूक सेवा करि ल्यों जिंदगी मे मिलल सुकून
घराक ईष्टोंक शक्ति ले हमुकै मिलल जुनून!!


 
कविता: देव सती, 
चौबटियक थोड़ तलि बटि,पपनैपुरी पाखुडा़

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