ओ म्यैरि सुवा
बुरुसै ज फूल सुवा
तु प्योली ज देखणिचांणि
अणदेखी करि न्है जैछें
मि है जानु रुंगतुगान।
तु गदुवा ज फुल्यूड़
ह्यूं ज सुकिल म्यैरि सुवा
दाडि़मै ज दंतपाटि त्यैरि
तु मिकैं टोकैली म्यैरि सुवा।
मिं तार्नां ज चिणुक
तु पुन्यौं की छै ज्यून
त्यार बाट चान चानै
मि इसिकै मरि ज्यूंल।
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रचनाकार: रेणुका जोशी |
घुघुती ज छाजी भैयी तु
काकडै़ ज तुरतुरि
तिकं देखि म्यार आंग
अणकस्सै भैइ सुरिसुरि।
नारींगै ज दांणि छै तु
ओ म्यैरि बाना
कत्थप हरै जानू मि
तिकं रुनूं चाना।
तू छिलुकै ज रांठि
तु दाडि़मै ज दांणि
गौव सुखी भै म्यर
तु बज्याणी नौलौ पाणि।
मि बांजौ ज बगेट
तु नौणी ज चिफौइ
कदिन हौल हमौर मेल
हम कपाव में लिखै ल्याइ।
- - - - - - - और लै के उपमांऐ याद आलि त लिखिया हो दगडि़यो ।
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