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💐"बाखयी कुणैं आज"💐
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रचनाकार: संतोष जोशी 'सुधाकर'
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आज बहुत दिनों के बाद कलम ने अपनी पहाड़ की याद दिला दी।
आज बहुत दिनों के बाद कलम ने अपनी पहाड़ की याद दिला दी।
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छोड़ि गे छे मिके
तोड़ी गे छे मेरी मायी।
त्वैकै ले देखि ल्युंल
थकन पटानै ये आलै आयी।
म्यर भरांण सड़ गेईं
ध्यूड कुड़ी मा लाग गों।
त्यर बुलाई दयाप्त बेई
पुछ्यार कुणोछि वु जाग गो।।
ध्यूड कुड़ी मा लाग गों।
त्यर बुलाई दयाप्त बेई
पुछ्यार कुणोछि वु जाग गो।।
मकडू का जाव छन
दादर चरचराणँ रौ।
आँगण मा घा जाम गो
खोवाक डीग पिरपिराणं रौ।
दादर चरचराणँ रौ।
आँगण मा घा जाम गो
खोवाक डीग पिरपिराणं रौ।
पन्यांण ले खरी जे गे
गाड़ भीड़ भुसभुसी गेई
रई तई ठ्याक डाकोई टूटी गेईं।
गाड़ भीड़ भुसभुसी गेई
रई तई ठ्याक डाकोई टूटी गेईं।
म्यार धुरिक पाथर हरे गेई
लाल माटाक लिपि पाल छिरे गेईं।
गोठो पन झो जाम गो
कुणी भकार हम पिर पिरै गेईं।
लाल माटाक लिपि पाल छिरे गेईं।
गोठो पन झो जाम गो
कुणी भकार हम पिर पिरै गेईं।
एक सफल भविष्य की कामना।।
संतोष जोशी(सुधाकर)
(M) 9540689825
गरुड बागेश्वर

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