'

द्वि आंखर-गफ कोर्स कां है करौ तैं ले?


द्वि आंखर-गफ कोर्स कां है करौ तैं ले?

तो महाराज फसकबाजी ले हमारा यां भौतै महत्व भ्यो, कत्ति पछ्यांण वालों दगड़ या रिश्तेदारों दगड़ भेट है गै तो द्वि फसक मारन जरुरी है जानेर भ्यो।  पुरानालोग, पुराना मास्साब लोगन फसकबाजी में विशेष आनंद उनेर भ्यो।  एक, मास्साब कून लागिं भ्या अच्यालन का नयं मास्टरोन फसक मारनि ले नैं ऊनि, फसकबाजी इतुक आसान ले नैं भै महाराज।  

एक, अनुभवी मास्साबो ले क्यो कि कसिकै ऊंछि फसकफराल, तिनन ले संदर्भ सहित व्याख्या करि नि राखि और नैं निबंध लेखि राख्या।  अच्यालून, नयं मास्साब लोग टिक करि बेर बनि भया।  एक, मास्साब बतून लागि भ्या कि एक इंटर कॉलेज में ह्यून का दिनन फसक मारि बेर मास्साब लोगन ले चार रूख हरिया सुकै दियान।  तो, ले गज्जब फसक भै हो, फसक मारि बेर कैं हरिया पेड़ सुकि सकनि, कसब हो।  

एक, पुरानि बात भै एक सुबदार सैप नयं सुबदार बनि बेर हमार गौं में आया और खूबै फसकफराल में लागि भ्या।  मैं, हौलदारी कि ट्रेलिंग में ले पैंल आयूं, नैब सुबदारी में ले, रेस तो गजब भै हो मेरि, सीओ सैप भेरी गुड कूंनेर भ्या, फैरिंग में ले पैंल भयूं में, डिस्पिलिंग ले भलो भ्यो, अफसर सब्बै चाइयै रै जनेर भ्या, ट्रेलिंग में ले पैंल उनेर भयूं, मीम सैप लोग ले भल माननेर भ्या पैं।  उति, एक पुराना उस्ताद हौलदार सैप ले सुणन लागि भ्या उनले क्यो, हैं ला भतिज तो गफ कोर्स कां है करौ तैं ले।

 
दिनेश भट्ट, सोर पिथौरागढ़

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ