
हमरि आमौक बाड़ (दादी के छोटे छोटे बगीचे,क्यारियां)
लेखिका: अरुण प्रभा पंतहमौर आंगणांक तीन तरफ भिड़ (छोटी दीवार) भाय हो। भिड़नैक ऊंचाई तीन फिट हुनैल हो। भिड़ पार आमाक बाड़ भाय,बाड़न में आम् रोज कुछ घंट लागी रुनेर भै। सुंजै गुलबांक, सदाबहार,गुलाब,ठोकर ,गैंदा ,हजारिक, प्योलिक फूल खिली रुनेर भै हो। बेल वाल गुलाब लै भौय वां तो।
नान क्यारिन में मौसमाक साग पात जम्मै हुनेर भाय हो। पालंग(पालक) मेथि (मेथी) ,चौलाय, बाछालाय, पोदिन (पुदीना) ,हरि धणी (हराधनियां), टिमाटर, बैगण (टमाटर,बैंगन), भिंडी, कर्याल, मिठ कर्याल, (राम कर्याल), गदु(कद्दू), लौकिक, तोर्यां (लौकी, तरोई) झाल, लगिल(बेल), घुंइयां, पिनाव, जवाण (अजवाइन), जिर (जीरा), खुश्याणि(मिर्च), शकि खुश्याणि (शिमला मिर्च) जम्मै हमरि आम् उगै दिनेर भै आपण नान नान बाड़न में।
क्वे बखत कुबखत ऐ जाओ के फिकर नै बाड़पन केन के (कुछ न कुछ) मिलि जानें भै। चैताक म्हैण बाद उगल(कोटू) पुर द्वितीन क्यारिन में जाम (उगा) रुनेर भै। मुल तो आम कं अत्ती प्रिय भै।गोल मुल ,लंब मुलैकि बहार भै। उ चाऔधैं हरि हरि हल्दाक पात ,आद सबै भौय, यो आमौक भनार में (भण्डार) एक तरफ केवाणि (केले के पेड़), निम्मु(नींबू) माल्टा, जामिराक बोट (वृक्ष) नान कागजी नम्मु भाय ज्यादे ठुल निम्मुआंक बोट भाय।
पार उज्याणि आंखोड़, (अखरोट),नाशपाति (नाशपाती), अलबखर (आलूबुखारा), प्लमाक(प्रथम) बोट लै आमाक खजान में भाय हो।
आमौक प्रिय डायलौग--"जाऔ बाड़ बै लिआऔ" भै। हम नानतिन बिना आमेक आज्ञांल बाड़ में निजानेर भाय। जब आम कं टैम भौय आम् एक कुटवैल बाड़पन लागि रुनेर भै । दिन में झिट्टघड़ि पड़नी ,हमरि आम भौत कम लमपसार हुनेर भै (लंबी तान के नहीं सोती थीं)। दिन में पड़नैल दल्दिर (दरिद्र) ऊं कुनेर भै। आमाक बाड़ में आमौक एक छत्र राज भौय हो।
ऐस बाड़नौक सागपात खै बेर हम ठुल है रैयां हो।

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