'

कोरोना


कोरोना
रचनाकार: दामोदर जोशी 'देवांशु

कोरोनाक वायरस ऐगो,
तुम भितैरै रूकि रया।

न कैं छुआ, न मैं छुवण दिया,
जां छा वायीं रूकि रया।।

सुकि खांसि बुखार बढ़ल
सांस ल्हिण में होलि परेशानी।
झटपटै परीक्षण करै ल्हिया,
रोग पावणकि झन करिया नादानी।।

कोरोना रोगै नै भष्मासुर छु
महामारी मनखिक छु उपजाई।
हात दिन भरि धोते रया
एकल रूंण में सबूंकि भलाई।।

नांक मूंख मास्कल ढकि रया,
भीड़ में कतई लै जाया झन।
साहसकि सुई लगाते रया
बचाया दुर्लभ मनखिक तन।।

पाणि-खांण गरम-गरम ल्हिया
बिटामिन ल्हिनै रया तुमि सी।
आगक नजदीक जै नि जाला
फिर कसिक लागलि तुमूक झी।।


- दामोदर जोशी ‘देवांशु'
 
श्री दामोदर जोशी ‘देवांशु' कुमाऊँनी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार, कुमगढ़ पत्रिका के संपादक हैं

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ