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साँचि बता के छै तू


साँचि बता! के छै तू ?

रचनाकार: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

साँचि बता! के छै तू!
दूर दून में पसरि बेर!
म्यार पहाड़ हैं हुकम चलाणिं!
आबकारी फैदैकि नीति गिणैंबेर!

घर घर में शराब पुजाणिं!

तू क्वे नर या देब जै के हयै?
शायद क्वे छः मसाण छै रे तू?
साँचि साँचि बता! के छै रे तू!
स्थायी राजधानी गैरसैंणाक लिजी!
सत्रह साल बै बॉट अटकाँणी!
द्विय द्विय आयोग बनै बै!
हमुकैं सबुकैं दैंण बौं घुमाँणिं!

कि क्वे लगाई पठ्याई!
शिमस्याणिं छै रे तू?
साँचि साँचि बता ! के छै रे तू!
बचन खोल ! साँचि बता!
चोरि चोरि बै किलै खामछै!
हम द्यूल तकणिं तू माँगि बै खा!
२०१९ या २०२२ तक!
अब हम इन्तजार नि करुल!
रुक जाग तकणिं २०१८ में खदेड़ि द्यूल!

आजि लै साँचि साँचि बतै दे!
को छै? और के छै रे तू?
अगर ! फिर लै नि बतानै!
तो कान खोलि बै सुण!
हम बलिदानि ! हम स्वाभिमानि!
भलिकै मानि जा!
नतर द्यूल तनातनि!

मानचित्र केवल प्रतीकात्मक है, माप के अनुसार नहीं है
" त्रिचम " ( ९:०९ पी एम २४/१२/२०१७)

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