
--:हमर बड़बाज्यू:--
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
ख्वारन टोपि, मल आंग(ऊपरीशरीर) कमीज या कुर्त, वास्कट या कोट भितेरभैर जेबै जेब। एकदम भितेर नानि ठुलि द्वि खल्ती (एक छोटी एक बड़ी जेब) खल्ती में डबल-टांक (रुपए-पैसे) भैराक जेब में मिशिर (मिश्री), लौंग, मांचिस।।
ताल आंग (नीचे के शरीर में) सुराव (पैजामा) या पैंट, खुटन में ज्वात म्वाट म्वाटधूल कच्यार लागी। तों भाय म्यार बड़बाज्यू। आम् दगैकजि (झकौड़) करणी, आऔ भैठौ कूणी आब फोटो में रै गेईं हो आब मुखतिर न्हांतन हमार मिशिर वाल बड़बाज्यू। हाथन में चिंकोटि काटणी, हमन कं बौ बर्तैक काथ कूणी पुज-पाठ करूंणी, हमार पढ़ाइक ,इस्कूलौक बाट चांणीं, हमन कं श्र्लोक सिखूणी हमार जेबन मिशिर डबल धरणी बुबू, बड़बाज्यू आब मात्र फोटो में रै ग्यान हो।
हम आब बिन बड़बाज्यूक भयां बिना कैलक्यूलेटराक हिसाब-किताब करणी ,म्यार गवाक हार ,म्यार गलती मांफ करणी म्यार बड़बाज्यू फोटो में न्हैंगेईं हो। ज्ञानाक भंडार हमैरि आम् पर कंट्रोल करणी हमर बड़बाज्यू आब फोटो है गेईंहो। हम नानतिनन कं दो एकम दो ,बै उन्नीस अठ्ठा सिकूंणी, हमन कं लग कान (मात्राएं) बतूणी, हनुमान चालीसा याद करूंणी म्यार बड़बाज्यू उ चावौं धौं फोटो में न्है ग्यान।
बस आब याद,निश्वास, हूक और आंखन में पाणि रैगो, आय लै गलती हुण पर बड़बाज्यू म्यार दिमाग में ऐ जानी और मकं सुधार दिनी बड़बाज्यू तुम न्हांता पर हरजाग तुम्हें तुम हुंछा।
भौत्तै गल भर जां, के धान (युक्ति) करूं ,बड़बाबाज्यू, तुम तौ फोटो बण गोछा (बन गयेहो)।।

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