'

द्वि आंखर-गुरु की महिमा


द्वि आंखर-गुरु की महिमा
(रचनाकार: दिनेश भट्ट)

गुरुजनों, ढोक,आदेश, सिलाम, जुहार।
जैगुरुले, आंखर सिखाई,
पाटी दवात कलम पकड़ाई,
जै गुरु ले दुदबोली को शबद आंखर दियो,
जै गुरु ले दुनियादारी, 
ज्ञान विज्ञान आचार विचार दिया,
जै गुरु ले करम भरम को धरम बतायो,
जै गुरु ले धरती-अकाश, पताल, 
गंग, गाड़, हिमाल,बोट, बन, 
माटो, छारो, अयाल बयाल, बतायो,
जै गुरु ले मंतर फूको,
हंतर घंतर लगायो,
जै गुरु ले चरचा, परचा को भेद बतायो,
जै गुरु ले गौं, पास-पड़ोस,बतायो,
गुरु किताब, गुरु समाज, गुरु ईस्कूल,
गुरु दोस्त मितुर, गुरु पर्वार,
गुरु नान्तिन छात्र को आदेश
आदेश जुहार सिलाम,
सौ सौ बार, आदेश जुहार सिलाम।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ