
-:हमरि कैंज (मौसी या सौतेली मां):-
लेखिका: अरुण प्रभा पंतइजैक नानि बैणि हमर कैंज आज हमार वां उनेर छन।
मेरि इज जै लंबी पर दुबईपतय (दुबली पतली) छिपिल (अच्छे फिगर वाली) जै खूब मिठ्ठौ बलाणी और खित खित बेर हंसणी, देखण चांण (सुंदर) हमरि कैंज आपण द्वि नानतिन दगै पुजणैछन हो।
सब उनन कं भल माननेर भाय हो।
खूब रौनकी ,नचारि गिदारि (नाचने गाने में होशियार),मशिणा ऐपण(महीन अल्पना देने वाली) दिणी हमर कैंज भइन हो।
उनार नानतिन बाबा हो अत्ति चायपाति(शैतानी) करणी खूब धुर्कणी(उछल कूद) और कुछ कुछ उज्जड्ड लै भाय हो ।
हमन कं जिम्मेदारी दि राखि हमरि इजैल, कै राखो हो आज हम इस्कूल नि जांणया।
भोल पोरू छुट्टी छू फिर क्वे और देखभालकरौल यो उज्जड कैजैक संतान कं हो।
हमरि कैंज सबनैक प्रिय भयिन हो ,पड़ौसि लै कुणयी नंदी आलि तो हम तो गीद(गाना)सिखुंल ,ढोलुक(ढोलक) कतु भल बजैं। हर गीद में वीक(उसका) हाथ सैट छुहो।
पर खाण बणूण में हमर इज जै हुसियार हमरि कैंज नि भै। बांकि सारि गुणनैक खांणहमरि कैंज आज उणैं हो ।
उनार सौरासाक जा फल ,चूख सबै भल माननेर भाय हो ।
उम, च्यूड़ लै ल्यालि हमरि कैंज।
हमरि दिव्य मूर्ति कैंज आज उणै छन हो।
ओ इजा ,पार चांऔ धैं उ लमालम(तेज तेज) हमरि कैंज हुनैल ,जो रंगिल चंगिल(रंग बिरंगे) लुकुड़न(कपड़े) में झ्वाल(झोले) ल्हिबेर उणयीं उ हमरि कैंज छन हो।

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