
द्वि आंखर*****घौड़ लागन्,
(लेखक: दिनेश भट्ट)
(लेखक: दिनेश भट्ट)
अत्ति मोह माया, लालच भौतै खराब भै। कभैकभै, यो
एक मानसिक बिमारी जसि है जांछि। हमार साथी, एक मास्साब बतून लागिर्योथ्या कि
एक गौं में दुकानदार भ्यो, भौत सालों तलक दुकानदारी करि, खूब रूपांया
कमाया। पुरा, इलाका में ऊ सेठ ज्यू नाम ले जांणिं जानेर भयो। धीरे-धीरे, ऊ
मैंस बुढ़ी ग्यो, वील अपन कारबार, दुकान च्याला कैं सौंपि दियो।
वी, आदिम में एक ऐब भ्यो, ऊ भौतै कंजूस भ्यो। रूपांया, ढेपुन् में वीकि परानि भै, अपन घरवालि और नान्तिनान ले भल खाण् पैरन् हिं दिनेर नै भ्यो। जब, ऊ भौत बुढ़ी ग्यो, वीको अंत बखत आयो त महैण है ग्या वीका परान् जानेर नैं भ्या। घरवाल्, यां तक कि तलि मलि बाखलि वाल् ले परेसान है ग्या। फिर, एक सयांण मैंस ले कयो कि तनन् घौड़ लागै है गैछ, तनोर ह्यांक के चीज में जै रौ छ ऊई चीज तनन् दियो।
तो, महाराज खिर्ची मिर्चि, एक, द्वि, पांच, दस, बीस, पचास,सौ, का नौटों कि गड्डी बुढ़ज्यू का सामनि राखि गै, तब उनार परान ग्या।
वी, आदिम में एक ऐब भ्यो, ऊ भौतै कंजूस भ्यो। रूपांया, ढेपुन् में वीकि परानि भै, अपन घरवालि और नान्तिनान ले भल खाण् पैरन् हिं दिनेर नै भ्यो। जब, ऊ भौत बुढ़ी ग्यो, वीको अंत बखत आयो त महैण है ग्या वीका परान् जानेर नैं भ्या। घरवाल्, यां तक कि तलि मलि बाखलि वाल् ले परेसान है ग्या। फिर, एक सयांण मैंस ले कयो कि तनन् घौड़ लागै है गैछ, तनोर ह्यांक के चीज में जै रौ छ ऊई चीज तनन् दियो।
तो, महाराज खिर्ची मिर्चि, एक, द्वि, पांच, दस, बीस, पचास,सौ, का नौटों कि गड्डी बुढ़ज्यू का सामनि राखि गै, तब उनार परान ग्या।
दिनेश भट्ट, सोर पिथौरागढ़

0 टिप्पणियाँ