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वैवाहिक रस्मों में आंछत फरकैण व मंगलगीतों का अपना महत्व है

कुमाऊँ क्षेत्र की वैवाहिक परंपराओं में अक्षत (चावल) के द्वारा स्वागत तथा मंगलगीतों का विशेष महत्त्व है। Kumauni wedding custon Anchhat Farkain, welcome of Barat in Kumaoni wedding in hindi

आंछत फरकैण' रस्म व मंगलगीतों का है अपना महत्व

(लोक परम्परा)
लेखक: भुवन बिष्ट

उत्तराखंड भूमि उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र की वैवाहिक परंपराओं में अक्षत (चावल) के द्वारा स्वागत तथा मंगलमयी जीवन के लिए कामना का अपना एक विशेष महत्त्व है। इसे कुमाऊँनी भाषा में 'आंछत फरकण' कहा जाता है। पारंपरिक घरों में होने वाले विवाह समारोहों में 'आंछत फरकैण' एक महत्वपूर्ण रस्म व परंपरा है। इसके लिए वर अथवा वधू पक्ष के परिवार की महिलाओं- माता, ताई, चाची, भाभी को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। वे पारंपरिक परिधानों-रंगवाली पिछीड़ा व पारंपरिक आभूषणों से सुशोभित होकर इस कार्य को करती हैं।

आंछत फरकैण में पाच, सात, नो, ग्यारह या इससे अधिक महिलायें यह कार्य कर सकती हैं। दूल्हे के घर में वारात प्रस्थान के समय भी इन महिलाओं द्वारा अक्षतों से मंगलमयी जीवन की कामना की जाती है तथा दुल्हन के घर पहुंचने पर दुल्हन के परिवार की महिलाओं द्वारा दूल्हे का अक्षतों से स्वागत किया जाता है। फिर विदाई के समय भी दुल्हन के घर में वर-वधू दोनों का आंछत फरकण से स्वस्थ एवं मंगलमयी जीवन की कामना की जाती है। दूल्हे के घर में बारात पहुंचने पर वर पक्ष की महिलाएं, जो आंछत फरकैण के लिए आमंत्रित होती हैं, वे दूल्हा-दुल्हन के घर में प्रवेश से पहले आंगन में आंछत फरकैण की परंपरा व रस्म अदायगी करती है। इसमें सभी महिलाओं द्वारा दोनों की खुशहाली व मंगलमयी जीवन की कामना की जाती है।

कुमाऊँ क्षेत्र की वैवाहिक परंपराओं में अक्षत (चावल) के द्वारा स्वागत तथा मंगलगीतों का विशेष महत्त्व है। Kumauni wedding custon Anchhat Farkain, welcome of Barat in Kumaoni wedding in hindi

अक्षत (चावल) को शुद्ध, पवित्रता, सच्चाई का प्रतीक भी माना जाता है। इसको तिलक के साथ अथवा देव पूजा में व वैवाहिक समारोहों में अनेक रूपों में उपयोग किया जाता है। इस रस्म और मंगलगीत का भी अनूठा संबंध है। मंगलगीत में देवताओं का आहान एवं मंगलमयी जीवन के लिए कामना के साथ ही पूर्वजों व सभी देवी देवताओं से पावन कार्य को भली भांती पूर्ण करने के लिए प्रार्थना की जाती है। मंगलगीत गाने वाली विशेष महिलाओं को दूल्हा व दुल्हन पक्ष की ओर से विशेष उपहार व मान-सम्मान प्रदान किया जाता है। किन्तु आज शादी-विवाहों में ये सभी पारंपराएं देखने को नहीं मिलतीं।


भुवन बिष्ट, मौना (रानीखेत), पो. चौकुनी जिला अल्मोड़ा

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