
बेथु या बथुआ (Chenopodium album)
लेखक: शम्भू नौटियालहम भले ही बेथु या बथुआ के सोने जैसे कीमती शाकीय पौधे को अनावश्यक समझकर फेंक देते हैं लेकिन इस पौधे के कई स्वास्थ्य लाभ है और इसमें कई तरह के पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है। बथुआ जिसका वैज्ञानिक नाम चीनोपोडियम अल्बम (Chenopodium album) एक प्रकार का पौधा है। इसका शाक बनाकर खाने के काम आता है।
यह अधिकतर गेहूँ के खेत में गेहूँ या सरसों के साथ उगता है और जब गेहूँ बोया जाता है, उसी सीजन में मिलता है। बड़े किसान जिन्हें सिर्फ गेहूं की उपज ही अधिक मात्रा में चाहिए वह इसे खरपतवार की संज्ञा देते हैं। जबकि इसका बीज, तेल और पत्ती का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। दवा बनाने के लिए भी पूरे पौधे का उपयोग किया जाता है। बथुआ में प्रचुर मात्रा में आयरन, पौटेशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, काॅपर और विटामिन ए,सी, सहित फाइबर भी पाएं जाते हैं।

कई लोग बथुए की सब्जी बनाकर खाते हैं तो कई लोग इसका रस निकालकर भी पीते है। कुछ लोगों को इसके परांठे भी पंसद आते हैं। इसमें ऐसे रसायन होते हैं जो एंटी-ऑक्सिडेंट की तरह काम करते हैं। एंटी-आॅक्सिडेंट होने के कारण बथुआ विषद्रव्यों को भी शरीर में जमा नहीं होने देता है इसी वजह इसे उत्तम रक्तशोधक भी माना गया है। कुछ शोधों से यह भी जानकारी मिली है कि यह ब्लडप्रेसर, पेट के अल्सर, हृदय रोग ठीक करने वाला, कृमि व बैक्टीरिया नाशक, दर्द एवं सूजन निवारक, वाइरल व एलर्जी से बचाने वाला है।

सर्दियों में इसका सेवन लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल से मुंह या गले की सूजन और उच्च कोलेस्ट्रॉल के लिए भी किया जाता है। बथुआ ने हेल्दी भोजन के रूप में लोकप्रियता हासिल की है, यह प्राचीनकाल व आज भी दुनिया के कुछ हिस्सों में सदियों से एक आहार प्रधान रहा है। इसमें एक प्रभावशाली पोषक प्रोफाइल है और इसे कई प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभों के साथ जोड़ा जाता है।

श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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