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पारम्परिक पहाड़ी नस्ल की बद्री गाय

भारतीय गाय की पहाड़ी मवेशी नस्ल बद्री गाय कुमाऊँ और  गढ़वाल अंचल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। Pahadi Bardi Cow is a native Himalayan breed of cow in India,pahadi badri cow

पारम्परिक पहाड़ी नस्ल की बद्री गाय

बद्री गाय काले-भूरे, लाल, सफ़ेद या भूरे वाली भारतीय गाय की पहाड़ी मवेशी नस्ल है, जो दूध और अन्य दुग्ध उत्पाद तैयार करने के उद्देश्य से पाली जाती है।  छोटे आकार के शरीर वाली बद्री गाय केवल पहाड़ी जिलों में ही पाई जाती है जिसे इसे 'पहाड़ी' गाय के रूप में जाना जाता था।  ये मवेशी उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं।  गायों की यह मज़बूत और रोग प्रतिरोधी नस्ल उत्तराखंड के कुमाऊँ और  गढ़वाल अंचल के सभी पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। उत्तराखंड में बद्री गाय को पूजनीय और शुभ माना जाता है तथा इसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है।

पहाड़ों की परिस्थितियों के अनुकूल आर्थिकी से जुड़ी है बद्री गाय:

पहाड़ी गाय उत्तराखंड के गांवों की कृषि एवं आर्थिकी से सीधे जुड़ी है और इसका मुख्य आहार हरी एवं सूखी घास है।  रोग प्रतिरोध क्षमता इस नस्ल की एक बहुत महत्वपूर्ण विशेषता है जिस कारण यह शायद ही कभी कोई बीमारी का शिकार होती है।  यह पशु उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की प्राकृतिक और ताजा, प्रदूषण मुक्त स्थिति में रहते हैं और इनको ताजा प्राकृतिक घास पत्तियाँ ही खिलाए जाते हैं जिस कारण यह जीवन भर स्वस्थ रहता है।  जबकि, जर्सी, होल्सटिन समेत अन्य नस्ल की गाय दाना, खल आदि पर निर्भर हैं। हालांकि, दूध का मूल्य सभी गायों का एक समान है। उत्तराखंड सरकार का पशुपालन विभाग बद्री गाय के संरक्षण एवं विकास पर विशेष ध्यान दे रही है।

बद्री गाय की मुख्य विशेषताएं:

  • यह छोटे आकार तथा नम स्वभाव की होती है जिस कारण इसका पालन सीमित संसाधनों से किया जा सकता है
  • इनके शरीर के विविध रंग हैं - काले-भूरे, लाल, सफ़ेद या भूरे, जिनमें से लाल रंग की गायों को दूसरों से अलग करने के लिए कहा जाता है।
  • गर्दन चौड़ी और छोटी है, उज्ज्वल और सतर्क आँखों के साथ।
  • कान खड़े और सतर्क होते हैं।
  • कूबड़ प्रमुख है।
  • पूंछ एक काले स्विच के साथ लंबी होती है।
  • पैर पैड और खुरों के साथ पैर लंबे और सीधे होते हैं।
  • खुर और माइट्स काले या भूरे रंग के होते हैं।
  • Udder कम विकसित है - आकार में छोटा, और शरीर के साथ टक।
  • शरीर की ऊंचाई 105 सेंटीमीटर है।
  • शरीर का वजन औसतन 225 किलोग्राम के आसपास होता है।
  • औसत छाती की परिधि 115 सेमी होती है।
  • दूध की मात्रा प्रतिदिन 1 लीटर से 3 लीटर है।
भारतीय गाय की पहाड़ी मवेशी नस्ल बद्री गाय कुमाऊँ और  गढ़वाल अंचल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। Pahadi Bardi Cow is a native Himalayan breed of cow in India,pahadi badri cow

बद्री गाय उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाली जाती हैं और यह नस्ल उत्तराखंड की पहली प्रमाणित मवेशी नस्ल है।  दुनिया में सबसे अधिक गुणकारी एवं निरोग दूध बद्री गाय (पहाड़ी गाय) का है।  पहाड़ी नस्ल की इस गाय को जून 2016 में एनबीएजीआर (नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक्स एंड रिसर्च) ने नामांकन प्रमाण पत्र जारी किया। वैज्ञानिकों के मुताबिक बद्री गाय एक वक्त में एक से तीन किलो तक दूध देती है। इसका दूध गाढ़ा व पीला होता है।

बद्री नस्ल के पशु-पालन को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में, सरकार ने विपणन सुविधाओं में सुधार, पौष्टिक आहार और चारा प्रदान करने और क्षेत्र के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करके पहल की है।  यूकॉस्ट (उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद) व आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों के बद्री गाय के दूध पर किए गए शोध से यह तथ्य सामने आया। उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी और IIT रुड़की द्वारा किए गए एक शोध अध्ययन के अनुसार, बद्री गाय के दूध में लगभग 90% A2 बीटा-कैसिइन प्रोटीन होता है - जो  किसी भी देशी किस्मों में सबसे अधिक है।

वेल्यू एडिशन टू दि हिल-केटल ऑफ उत्तराखंड यूसिंग बॉयोटेक्नोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन प्रोजेक्ट के तहत किए गए इस शोध में पता चला कि पहाड़ी गाय के दूध में 90 फीसद ए-2 जीनोटाइप बीटा केसीन पाया जाता है, जो डायबिटीज और हृदय रोगों को रोकने में कारगर है साथ मनुष्य के लिए हर दृष्टि से लाभदायी है। जबकि, विश्वभर  में हुए शोधों के मुताबिक जर्सी, होल्सटिन समेत अन्य नस्ल की गायों के दूध में पाया जाने वाला ए-1 बीटी केसीन जीनोटाइप डायबिटीज, हृदय रोग व अन्य मानसिक रोगों का कारक है।

बद्री गाय के दूध में पाया गया 90 फीसद ए-2 जीनोटाइप बीटा केसीन:

यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल का कहना है कि परियोजना के अंतर्गत लिए गए दूध के नमूनों का परीक्षण करने पर इसमें 90 फीसद ए-2 जीनोटाइप बीटा केसीन पाया गया। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद लाभकारी है। विश्व में यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका, ब्राजील व आस्ट्रेलिया में ए-1 जीनोटाइप की समस्या आम है।

क्या है बीटा जीनोटाइप केसीन:

दुधारू पशुओं में 12 प्रकार के बीटा केसीन पाए जाते हैं, जो उनकी जेनेटिक भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। इनमें सिर्फ ए-1 व ए-2 बीटा केसीन ही प्रमुख हैं। जबकि ए-3 से ए-12 तक बीटा केसीन दूध में बेहद कम मात्रा में पाए जाते हैं। दूध में प्रोटीन का मुख्य घटक केसीन ही होता है।

दैनिक जागरण में प्रेषित समाचार के अनुसार पायलट प्रोजेक्ट के तहत बागेश्वर जिले में पहाड़ी नस्ल की बद्री गाय पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।  ए2 श्रेणी के दूध में अधिक प्रोटीन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक होता है। वहां ग्रोथ सेंटर बनाया जाएगा। इसके लिए शासन से दुग्ध संघ को 24.49 लाख रुपये भी मिल गए हैं।  परंपरागत पहाड़ी बद्री गाय के दूध को ए2 श्रेणी में रखा जाता है, जो कि अन्य क्रॉस ब्रीड गायों के दूध (ए1 श्रेणी) से अधिक पौष्टिक होता है।   आम तौर पर किसान सिंधी, साहिवाल क्रॉस ब्रीड वाली गाय पालते हैं इन गायों के दूध को ए1 श्रेणी में रखा जाता है।  जबकि पहाड़ी परंपरागत देशी बद्री गाय का दूध ए2 श्रेणी का होता है।  यह दूध सुपाच्य और अधिक पौष्टिक होता है और इसमें प्रोटीन भी अधिक होता है जिस कारण इसे ए1 श्रेणी के दूध से अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक माना जाता है।

बद्रीगाय पालन योजना उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड (यूएलडीबी) के माध्यम से संचालित की जा रही है। इसके तहत पशुपालन विभाग किसानों को बद्री गाय पालने के लिए प्रोत्साहित करेगा।  पशुपालन विभाग ही बुल का सीमन भी दिलाएगा, ताकि किसान परंपरागत देशी बद्री गाय का पालन कर ए2 दूध का उत्पादन करें।  किसानों से ए2 श्रेणी का दूध खरीदकर दुग्ध संघ अल्मोड़ा बाजार में बेचेगा।  दुग्ध संघ के प्रधान प्रबंधक डॉ. एलएम जोशी ने बताया कि बागेश्वर में ग्रोथ सेंटर बनाने के लिए शासन से 24.49 लाख रुपये मिल गए हैं। इसमें से 17.11 लाख रुपये में कांपेक्ट पाश्चुराइज्ड यूनिट और 7.38 लाख रुपये से मिल्क हीटिंग यूनिट बनाई जाएगी।

भारतीय गाय की पहाड़ी मवेशी नस्ल बद्री गाय कुमाऊँ और  गढ़वाल अंचल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। Pahadi Bardi Cow is a native Himalayan breed of cow in India,pahadi badri cow

बद्री नस्ल को परिग्रहण संख्या के तहत सूचीबद्ध किया गया है। INDIA_CATTLE_2400_BADRI_03040 ICAR- नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज (NBAGR) द्वारा जो कि देश का एक प्रमुख संस्थान है। एनबीएजीआर देश के पशुधन और पोल्ट्री आनुवंशिक संसाधनों की पहचान, मूल्यांकन, लक्षण वर्णन, संरक्षण और उपयोग के अपने निर्देशन के साथ काम करने के लिए समर्पित है।

बद्री पशु उत्पादों के लिए एक संगठित बाजार का गठन, और उत्तराखंड के किसानों के बीच बद्री पशु-पालन को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त प्रोत्साहन के साथ जैविक खेती को बढ़ावा देना आवश्यक है।व्  अंतिम गणना के अनुसार, उत्तराखंड राज्य में इस नस्ल की अनुमानित आबादी लगभग 16 लाख है।  इस नस्ल के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।  हमारी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र, केंद्रीय झुंड पंजीकरण, राष्ट्रीय डेयरी विमान, आदि।  इस देशी नस्ल के संरक्षण के लिए एक पशु प्रजनन केंद्र चंपावत के नारियाल गांव में 2012 में खोला गया था, और यह अब लगभग 150 गायें रहती हैं।

अमर उजाला समाचार की एक खबर के अनुसार चंपावत के नरियाल गाँव में गाजियाबाद की हेथा कंपनी बद्री गाय के दूध से जैविक घी तैयार कर रही है जो अमेजन सहित कई अन्य शॉपिंग कंपनियों में ऑनलाइन बिक रहा है। आधा किलोग्राम की कीमत 2500 रुपये है। हेथा कंपनी की ओर से बद्री गाय के दूध से घी तैयार करने के लिए 10 स्थानीय महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया है।  नरियाल गांव में लगाए गए प्लांट में घी तैयार करने के कार्य में लगी महिलाओं को दैनिक पारिश्रमिक दिया जाता है।

भारतीय गोमाता - बद्री गाय
आज तक - इस गाय का घी बिक रहा 4000 रुपये किलो, हैरत में लोग

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