
*कुमाँऊनी चौपाई छंद*
रचनाकार: भुवन बिष्ट
जय देव भूमि भौत महाना।
हाँम करनूँ त्यौर गुणगाना।।
पावन याँ छन चारों धामा।
सारे जपि दुणिं सदा नामा।।
जय गंगा पावन हरिद्वारा।
करूँ सदा माता जयकारा।।
जय गोलू देव महा राजा।
सुफल करिया सबै तुम काजा।।
चितइ चम्पावत घोड़खाला।
न्यायी का तुम छाँ रखवाला।।
जय जयति दूना गिरी माता।
सब जनों की भाग्य विधाता।।
झूला देवी जय जय कारा।
हाथ जोडूं त्यौर दरबारा।।
नैना देवी गर्जिया माता।
नंदा देवी जोड़ूँ हाथा।।
जय बाग नाथ बागेश्वरा।
जय महा देव जागेश्वरा।।
हाट कालिका जय खुशहाला।
जयति भुवनेश्वर पाताला।।
जय बद्री जय देव केदारा।
सुखी बणीं जो सब संसारा।।
शीश हिमाल के भौल छायी।
देव भूमि भौत छ मनभायी।।
जय देव भूमि भौत महाना।
हाँम करनूँ त्यौर गुणगाना।।
पावन याँ छन चारों धामा।
सारे जपि दुणिं सदा नामा।।
जय गंगा पावन हरिद्वारा।
करूँ सदा माता जयकारा।।
जय गोलू देव महा राजा।
सुफल करिया सबै तुम काजा।।
चितइ चम्पावत घोड़खाला।
न्यायी का तुम छाँ रखवाला।।
जय जयति दूना गिरी माता।
सब जनों की भाग्य विधाता।।
झूला देवी जय जय कारा।
हाथ जोडूं त्यौर दरबारा।।
नैना देवी गर्जिया माता।
नंदा देवी जोड़ूँ हाथा।।
जय बाग नाथ बागेश्वरा।
जय महा देव जागेश्वरा।।
हाट कालिका जय खुशहाला।
जयति भुवनेश्वर पाताला।।
जय बद्री जय देव केदारा।
सुखी बणीं जो सब संसारा।।
शीश हिमाल के भौल छायी।
देव भूमि भौत छ मनभायी।।

..........भुवन बिष्ट, मौना ,रानीखेत (उत्तराखंड)
bhuwanbisht1131@gmail.com

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