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जय माता दी


-----*जय माता दी*-----
(रचनाकार देवेन्द्र सती)
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ओ मय्या जी ओ जय मय्या जी
जय माता दी जय जय माता दी

हरिये मय्या तू सबूकि बिपति

ओ ऊँचा पहाडों मे बैठी रै छ माई
क्वैं तिहूँ मन्सा कूछों क्वै झूलेवाई

ओ बैठी छ धुर डानोंमे मय्या सुणिये पुकारा
हाथ जोड़ी भक्त आया तेरो दरबारा

ओ दूर बटी भक्त आया सुणिये पुकारा
हाथ जोडी करु बिनती मैय्या तेरों दरबारा

ओ झूलेवाई मय्या मेरि दूनागिरी मय्या
हरिये विपत्ति सबूक ओ हाटकाली मय्या

जय माता दी
 
कविता: देव सती, 
चौबटियक थोड़ तलि बटि,पपनैपुरी पाखुडा़

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