
ओ तल् देसै की बान
(रचनाकार: दिनेश कांडपाल)
प्रेम रसक पहाड़ि गीत...।
ओ तल् देसै की बान आकास नखार त्यार,
त्यर रुप पितई जाल जब उमर आलि हुलार।
त्यर को छ य सुनार जैल यास छैं ठप्प मार,
य गलोबंदक डिजैन ल सार गौं गूंज़्याय हमार।
त्यर दांतों की अनार ह्यों चमकूं जस घार धार,
त्यर ऊंठू की लालि य स लाल पुलमौं की चा र।
त्यार हैंसी की लहक पुज़ि गै छ धार पार,
म्यार बाखई क लौंडा त्यार है गयीं बिमार।
यों आंखां कैं चमकै बटि त्यूलै मुन दी मन हमार,
हम गौं क लौड सिद्दा कसि नखार उठौंल त्यार।
तू तल देसे कि बान त्यार समझू के इशार,
हम रै गया कौतिकूं में तू घुमि आई बज़ार।
@दिनेश कांडपाल

0 टिप्पणियाँ