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धो थामणं हैगौ छ जमाना


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 💐धो थामणं हैगौ छ जमाना 💐
रचनाकार: संतोष जोशी 'सुधाकर'  
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(कुमाऊँनी कविता)

धो थामणं हैगौ छ जमाना
धो थामणं जमान...2
टकि टकि मोबेल मा जी
आख्यों कै जि फोड़ि हाली
दरप और अहंकार मा जी
हिये आपणैं फुकिं हालि।।

माई पराणीं कख हराई
कख हराई यौ म्यस आपणां।
धो थामणं है गौ छ जमाना
धो थामणं जमान...2
ईज बाज्यू को लाड़ प्यारा
कसिकै हम सब भूली ग्याई
किलै आपणं धेई द्वार छोड़ि बै
वु पराई मुल्क मा बसी ग्याई।।

दीदी बैणी की आश तोड़ी बै
परदेश मा कोछन आपणां।
धो थामणं है गौ छ जमाना
धो थामणं जमान...2
बेइऐ ब्या करि च्याल ब्वारी के
अलगे कुड़ी बाड़ी चेन हेरे
बरसों बैटिक ईज बाज्यु कौ
मनकसि मा पाणि जोसौ फेर हेरे।।


सासु नौ बैटिक मम्मी ह्वैगी
शौर नौ पारि डैडी कुणीना।
धो थामणं है गौ छ जमाना
धो थामणं जमान...2
पैलि खेति आम बुबु लै
नाई बैखरौं मा कमै रौ छि
साग पाता निमखंणं छिं
डाई बोटावा लूटै रौ छि।।

बाखयी आपणां छोड़ि छाड़ी बै
पहाड़ कै नै बणांओ बिराणां।
धो थामणं है गौ छ जमाना
धो थामणं जमान...2

संतोष जोशी, (M) 9540689825
गरुड बागेश्वर

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