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हीरा सिंह राणा जी, प्रसिद्ध कुमाऊँनी गायक-५

हीरा सिंह राणा जी का अंतिम गीत कोविड की जागरूकता पर था  "भै रओ घर कैं ढकि द्वार....", last song of Hira Singh Rana ji was on Covid-19 awareness

हीरा सिंह राणा जी, प्रसिद्ध कुमाऊँनी गायक-५

(हीरा सिंह राणा जी के जीवन का अंतिम गीत कोविड-१९ की जागरूकता पर था)
 "भै रओ घर कैं ढकि द्वार...."

वर्तमान में कोरोना महामारी के आपात काल में राणा जी द्वारा कोविड-१९ तथा लॉक डाउन का पालन हेतु जागरूकता के सम्बन्ध में दूरदर्शन उत्तराखंड के माध्यम से एक गीत प्रस्तुत किया गया है।  कृपया इस गीत "भै रओ घर कैं ढकि द्वार, ऐ रौ भ्यार कोरोना" की पंक्तियां नीचे देखिये:-

भै रओ घर कैं ढकि द्वार, ऐ रौ भ्यार कोरोना-२
दिन रात कूंणौ, मन्खियौं कौ संहार कोरोना-२
भै रओ घर कैं ढकि द्वार, ऐ रौ भ्यार कोरोना

चार हात रओ दूर, झन छोड़िया क्वे कै कैं-२
यौ सरणि महामारी छौ, कै पार सरो ना-२
भै रओ घर कैं ढकि द्वार, ऐ रौ भ्यार कोरोना

नाख-मुख ढको साफ कपड़ैल, हातो कैं धुनै रओ
भीड़-भाड़ में नै जाओ कैं, लोगां धें कौने रओ
लॉक डाउन छू जां छा वैं रओ, खालि मुलि घूमो ना
भै रओ घर कैं ढकि द्वार, ऐ रौ भ्यार कोरोना

स्वास्थ्यकर्मी, डाक्टर और नर्सों का मान
खाण खवाणि लोग  पुलिस वालों कैं सलाम
हुंण लड़ै लड़ुल तब तक, जब तक यौ मरो ना
हुंण लड़ै लड़ुल तब तक, जब तक यौ मरो ना
भै रओ घर कैं ढकि द्वार, ऐ रौ भ्यार कोरोना

घर छोड़ बेर जनुल सेवा, बेमार बचायिं-२
देशैकि हमरि सेना लै, वी तैं फूल बरसायिं-२
हम मिल बेरि हरौंल ये कैं, यौ कसि कै बचौ ना-२
भै रओ घर कैं ढकि द्वार, ऐ रौ भ्यार कोरोना
दिन रात कूंणौ मन्खियौं कौ संहार कोरोना-२

(गीत के बोल लिखित रूप मेंउपलब्ध नही हैं गीत को सुनकर जो प्रतीत हुआ लिखे गये हैं, गाते हुये गायक द्वारा लाईनों की आवृत्ति भिन्न हैं यहां केवल पंक्तियां एक बार दे दी गयी हैं)
कोविड-१९ के आपात काल में लॉक डाउन का पालन करें तथा सुरक्षित रहें

बड़े दू:ख की बात है की इस गीत के पाठन के कुछ समय बाद ही राणा जी हमारे बीच से चले गये, इस प्रकार शायद यह उनकी अंतिम रचना  मानी जा सकती है 

पिछ्ला भाग- )    हीरा सिंह राणा जी के जीवन और गीत संगीत के बारे में आगे भी जानेंगे     (कृमशः भाग-५ )

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