
😝लाँकडाउन में कुमाउँनी घच्चैक😝
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लेखक: कैलाश सिंह 'चिलवाल'
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रधुली इज: बढ़िया वाल् एक-आद 'न्यौलि' (शेर) अर्ज करो ठाकुर सैप।
रधुली बाबू: मेरि बाना, मेरि पराणा----
लाँकडाउन में कौस् कौस् देखड़ पड़ू,
जै कै नी चान कौय् ,
वीकै मुँख बेरबेर चाड़ पड़ू 😝😝
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रधुली इज : ठाकुर सैप यौ लाँकडाउन कै परिभाषित करो धै ---???
रधुली बाबू : रधुली ईजा भौत गूढ़ सवाल पुछि देती हो, "जब 'दगड़ियों और
बोतव् 'की जगह' स्यैंणि और पाणी का जग ही नजर आता है ना उस "कालखंड" को
लाँकडाउन कहते है बल! 😪😪😪
रधुली बाबू : रधुली मै! यार म्यौर् पछिल वाल् हिस्स में भौतै पीढ़ हुंण लागि रै कौ! ओ--ओ आउच 😞😞
रधुली इज : किलै! कैल कौ पै तुमुहें भैर कर्फयू देखड़ हूं मरो कैबेर 😝😝!!
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रधुली इज : सुणो! लाँकडाउन हुंणै वील 200 किमी दूर तक पहाड़ और असमान देखीड़ लागि रैयी --- उ देखो --पार वा --ऊ!!
रधुली बाबू : होई होई, पै, जो लोग आजि लै लाँकडाउन कै नी मानणाय् उनूकै
भौतै जल्दी असमान में भैंसक पुठ मे बैठी यमराज लै नजीकै जौ देखियौल्! 😎😎
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भैर कर्फयू देखड़ हूं झन जाया हो!! आपु आपु ---ध्यान धरिया!
😝😝😝😝😝के सवाल छ तो बताया??
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कैलाश सिंह'चिलवाल'। 11/04/2020

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