
पप्पू दा कैं त्रिचमकि सलाह!
लेखक: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
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मैंल भ्यार बै धात लगैई!
पप्पू दा! ओ पप्पू दा!
पप्पूदाल जबाब दी भुला हो!
फिर पुछ!
क रे त्रिचमा के कमछै?
मैंल पुछ!
हिमाँचल व गुजराताक रिजल्ट कधिन ऐंल?
पप्पूदाल पैली पुछ! किलै तु किलै पुछम छै?
फिर म्यर सवालक जबाब दी! भोअ ऐंल रे भोअ!
मैंल कौय! पै डियर तू आज्जै बै मालखन लुकी जा!
या द्वि चार दिनाँक लिजी आँपुण मकोट नहै जा!
बड़ अपजसि भाग छू त्यर यार पप्पू दा!
पै तू फेल पास जे लै हलै!
तकणि गाई हुतणी आज्जै बै बटि बाटि बै तैयार है रयीं!
मेरी मान डियर तू या आज्जै बै मालखन लुकी जा!
या द्वि चार दिनाँक लिजी आँपुण मकोट नहै जा!
पै झन कयै कैलै अन्ताज नि बताय!
"त्रिचम" (१७/१२/२०१७)


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