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दुनी चाँद पर पुजिग्यै - हमार कुमाऊँनी रचनाकार【13】

कुमाऊँनी साक्षात्कार, राजेन्द्र ढैला जी द्वारा कुमाऊँनी और गढ़वाली कवि रमेश हितैशी जी से Kumauni interview with Kumauni & Garhwali Poet Ramesh Hitaishi

"दुनी चाँद पर पुजिग्यै"
कुमाउनी इंटरव्यू © हमार कुमाऊँनी रचनाकार【13】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैला

मित्रो मैंन एक सीरीज जसि शुरू कर राखै जमें एक संक्षिप्त परिचय करूंण लाग रयूँ आपूं सब लोगन् कें, हमार कुमाउनी रचनाकारों'क। जो आपणि लेखनील कुमाउनी बोलि-भाषा, साहित्य और संस्कृती'कि सेवा में जुटि रयी।
★दिल्लीक आपाधापीक जीवन, प्राईवेट नौकरी और दगाड़ में नान्तिन रूण, उबाद लै समाजा बा्र में सोचण, कई मंचों दगड़ी जुड़ी रूण, बिना के पारितोषिकै आपणि बोलि-भाषा विकास में निरंतर लेखन कार्य। यौ सब यतू आसान काम न्हैंतीन जबकि मनखी कें आज द्वी घड़ी फुर्सत न्हैं। फिरलै कुछ लोग यौ सब कामन् कें निस्वार्थ भावल बखूबी करनयी। उनन् मेंई छन आजाक् हमार कुमाउनी रचनाकार श्री रमेश हितैशी ज्यू। जो हिंदी,कुमाउनी'क दगाड़-दगाड़ै गढवाली में लै लेखनयी। आओ जाणनु इनार बा्र में इनन दगड़ी हैई बातचीताक माध्यम'ल....

सवाल01:  सबन हैं पैली आपण बा्र में बताओ?
जवाब●    म्यर जन्म 22 जुलाई 1969 हुं ग्राम व पत्रालय- झिमार, मल्ला सल्ट (अल्मोड़ा) में श्री माधो राम जी एवं श्रीमती हिरुली देवी जी'क घर में तिहरि संतानक रूप में हौ।  म्यर बाज्यू पुलिस बिभाग में छि, सेवानिवृत हनक बाद हम सब गौं में बसि गय।  कुछ समय बाद बौज्युक स्वास्थ्य ख़राब हुणक वजैल घरकि हालत कुछ भलि नि रहै।  यक वजैल से मैंलै एक आम पहाड़ी कै वाई रोजी रोटी' कि तलास मा दिल्ली ऐ गोयू।  बड़ी कोसिस करै पर सरकारी नौकरी पाण में सफल नि है सकूं।  पर मैलि कभैं लै हिम्मत नि हारि।  प्राइवेट नौकरी करिबै आज तक अपण परिवारक भरण पोषण खुसी-खुसी कर मोयू।  जमें मेरि घरवाई और द्वी नान्तिन (नानि) तरूणा व (नान) ब्रिज मोहन छ।
मैंलि हाइ स्कूल इंटर मिडिएट कॉलेज नैकणा पैंसिया सल्ट अल्म्वड बै और बांकी पड़ाइ दिल्ली में करि।   मैं एक प्रतिस्थित संस्थान में लेखाकार छौं।

सवाल02: आपुण लगाव सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन दगड़ी कसिक भौ और लेखन में कसी आछा?
जवाब●    छात्र जीवन बटी समाज और संस्कृतिक दगड़ि भौत लगाव रहौ जैक परिणाम लेखन और सांस्कृतिक मंचों में समय-समय परि अपणि उपस्थिति दर्ज होते रै। ज्यौं-ज्यौं समय बितनै गोय यौ लगाव और जाधे पक्क हनै रौ। वक बाद मैं अपण पहाड़ बै भ्यार दिल्ली जस शहरों में ऐ गोयु। येति भौत कोसिस करणक बाद लै साहित्य तक नि पुजि सकूं। किलैकि म्यर कैक दगड़ि इतुक परिचय लै निछि। कुछ साल तक मैलि रंग मंच में लै काम करौ। रंग मंच में लै संतोष नि हौय, और मैं फिरि पुर समर्पण भावना से लेखन में ऐ गोयु। यौ यात्रा 1991 बै चलि रै।

सवाल03: रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब●    मैलि 1991 बै लेखन सुरू करौ, ननछिना एक हरु हीत कि किताब मिली, उकें पड़ी बेर स्वचौ कि यसै गीत मैं लै लेखि सकनू कि न। बस एकाद गीत ल्याखौ। उ लोगों कें सुणा उनुल प्रोत्साहन बढ़ा बस तब बै बटि लगातार मैं लेखन में लागि रौयु।

सवाल04: आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब●    म्यर खास शौक छ लोगों का दगड़ लगातार बात करण।

सवाल05: उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनरी जीवनी और कार्य आपूं कें हमेशा प्रेरणा दिनी?
जवाब● यू सवाल भौत जटिल छ। सबसे पैली कर्मवीर जयानन्द भारती, बद्री दत्त पाण्डेय, बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, और लै भौत समाज सुधारक छि।

सवाल06: आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● श्री गुणा नन्द पथिक, जो रवाईं क्षेत्र गढ़वाला बामन छि। जनुल शिल्पकारों उत्थाना'क लीजि गीत गई। वेकी सजा उनकें यौ मिली कि उनु कें विरादरी बै भ्यार करि गो। पर उनुल यौ लड़ें नि छोड़ि। और उरातार यौ सामाजाक लीजि चिंतित रई।

सवाल07: आपूंकि कुमाउनी और गढ़वाली द्वीयै लोकभाषाओं में लिखण और बोलणकि बराबर पकड़ छ यौ कसी संभव भौ?
जवाब●   म्येरि जन्म भूमि गढ़वाल-कुमाऊं'क सीमा दुसांत में छौ, जति द्वीये भाषा बुलाई जानी, जीवन संगिनी कुमाउनी छ, घर में बात करनै-करनै कुमाउनी और भलि है गे।

सवाल08: आपूंल हिंदी, कुमाउनी और गढ़वाली साहित्याक को-को विधाओं में आपणि कलम चलै राखै और आपुणि लिखणैकि मनपसंद विधा कि छ?
जवाब●   मैलि हिन्दी में लेख जमें उत्तराखंडाक ज्वलंत समस्या छें।  वक बाद कुमाउनी गढ़वाली में कविता। कुमाउनी में कहानी संग्रह और गढ़वाली में जाति प्रथा पर एक उपन्यास जो प्रकाशानाधीन छ लिख राखी।  मेरि लिखणेकि मन पसंद विधा कविता छ।

सवाल09: आपुण जिंदगी'क एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● म्यर सबु है याद गार किस्स छ मैं भौत सराब प्यू छि, 31 दिसम्बर 1998 में मैलि स्वचौ की सराब भलि चीज निछौ और वे दिन बै आज तक सराब नि पि।

सवाल10: अच्छा शराब छोड़'न कठिन हूँ कूनी आपूंल कसी छोड़ि दे जरा बताला?
जवाब● सराब दृढ़ संकल्प से छुटी न दवा न दुवा। लोग कनी माठु माठु कै छूटीं यौ गलत छ। हां सराब छोड़न ता भौत तकलीफ हैं। उतना द्या द्वी मनखी तुमर लीजि दवा और दुवा है सकीं। उ छौ हमरि मां या हमरि जीवन संगिनी।

सवाल11: आपूं द्वारा रची कतू किताब छन उनर नाम कि-कि छ?
जवाब● मैलि अब तक पाँच किताब लेखि हाली। 'पीड़' गढ़वाली कविता संग्रह, 'ढकि द्वहार' कुमाउनी कविता संग्रह, 'दुखों का पहाड़' लेख संग्रह, 'लौटि आ' कुमाउनी-गढ़वाली कविता संग्रह, 'नौ वर्षक ब्या' कुमाउनी कहानी संग्रह और एक द्वी किताब और तैयार छन जल्दी छपाल्।

सवाल12: लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● भयात संस्था दिल्ली द्वारा 'साहित्य सेवा सम्मान', हिमवंत संस्था द्वारा 'चन्द्र कुँवर बर्थवाल श्रीजक श्री सम्मान', कुमाउनी भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसार देवी अल्मवड़ा द्वारा बहादुर सिंह बनोला स्मृति 'कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान', लगै बेर लगभग एक दर्जन सम्मान मिली छन।

सवाल13: आपण जिंदगी'क सबन हैं जादे खुशीक एक मौक बताओ?
जवाब● जब म्यर घर में मेरी ननिक (कन्या) जन्म हौ।

सवाल14: आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन/ एक-एक नाम बताओ?
जवाब●    मुंशी प्रेमचंद जी हिंदी'क और कुमाउनी'क श्री पूरनचंद्र कांडपाल ज्यू म्यार प्रिय लेखक छन।

सवाल15: साहित्य सेवा हैं अलावा सामाजिक क्षेत्र में आपुण के-के यगोदान छ?
जवाब●    हां सामाजिक क्षेत्र में छात्र जीवन बै छों। पर जो काम भौत सराही गई उ काम वर्ष 2000 बै हई।
1) मैं एक राष्ट्रीय स्तर'क सामाजिक संगठन उत्तराखंड आर्य समाज विकास समिति (पं) दघड़ जुडु। वेति बै मैलि अपण समाजा लिजी त काम कये छें पर सर्व समाजक लिजी सड़क, बिजली, पेयजल, ईस्कूल, सोलर पावर फैशनिंग, खड़ंजा'क लिजी उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार दघड़ लगातार आज तक प्रयासरत लै छो। यौ संस्था में मैलि बतौर प्रचार सचिव समाज सेवा सुरू करि। यौ 20 सालों क सेवा में कई पदों परि काम करते हुये आज राष्ट्रीय महासचिव पद कि ज़िम्मेदारी म्यर ऊपर छ।
2) वर्ष 2005 बै 2011 तक उत्तराखंड में द्वी निराश्रित गौ बंश कि रक्षा लिजी द्वी गौशाला लै संचालित करि। उ में बै एक आजकल लै संचालित छ। उत्तराखंड का ठुल मापदंड हम पुर नि कै सक यक लिजी सरकारल हमु कें यौ क्षेत्र में क्वे सहायता नि कै। और एक गौशाला बंद करना पड़ी। जो एक चल में आज लै स्व विवेक'ल यौ गौबंश कै बचण में प्रयासरत छों।
3) 2003 में उत्तराखण्ड आर्य समाज को-आपरेटिव सोसाइटी लि. क गठन करौ, जो सोसाइटी में आज लगभग 550 सदष्य छें। जैक मूल्य एक करोड़ है जाधे छ। जै में आज तक लगभग 400 लोगों कें एक लाख प्रति सदष्य ऋण सुविधा से लाभान्वित करि रौ। जैक वर्तमान में कोशाध्यक्ष लै मैं छों।
4) वर्ष 2014 में एक उत्तराखण्ड साहित्यिक एवं सांस्कृतिक काला मंच कि स्थापना करी। जैक तहत लगातार साहित्य और संस्कृति लिजी कुमाउनी गढ़वाली कवि सम्मेलन, रंगा रंग कार्यक्रम, राम लीला, छ्वाट ननु लिजी खेल प्रतियोगित भाषण प्रतियोगिता लगातार चलते रौनी।
5) वर्ष 2016 बै कुमाउनी गढ़वाली भाषा लिजी लगातार दिल्ली और एन सी आर में प्रशिक्षण कक्षाओं में एक शिक्षक और पाठ्यक्रम निर्माता रूप में काम कर मोयु।

सवाल16: पहाड़ी खाणु में आपण मन पसन्द खाणु के छ?
जवाब● भटाक डुबुक और भात।

सवाल17: नवोदित लेखक व रचनाकारों हूं कि कूंण चाला आपूं?
जवाब● नवोदित लेखक भौत भल लेखणई पर पड़न नि लागि रय, न क्वे कैधैं परामर्श लिणय जैक वजैल रचनाऔं में परिपक्वता कम लागनै। यौ परि ध्यान दिणेकि जरवत छ।

सवाल18: आपण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब●  म्यर ज़िंदगी मूल मंत्र छ कमजोर और मजबूरन कें अघिन बढ़ण में मदद करण।  जैक लीजि मैं कोशिश लै करूँ।

सवाल19: आपूं कें टीवी में के देखण भल लागों?
जवाब●    मैंकें टीवी में ऐतिहासिक और धार्मिक नाटक भल लागनी।

सवाल20: लोकभाषा बचूण किलै जरूड़ी छन?
जवाब●  लोक भाषा बचण जरूरी यक लिजी छ, कि जब हमरि लोक भाषा बची रौलि तब हमरि संस्कृति, इतिहास और पछयाण बचलि।

सवाल21: आपण उत्तराखंडी समाज हूँ के संदेश छ?
जवाब●   म्यर अपण उत्तरखंडी समाजा'क लिजी यू संदेश छ।  दुनि जून (चाँद) परि पूजि गे, पर हम यौ छुवाछूत और जातिवाद मे रह गोयु, यौ खतम हण चें।

सवाल22: क्वे यसि बात जो मैंन पुछि न और आपूं सब लोगन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● आपूल यौ नि पुछ कि मकणि यौ लेखन'क क्षेत्र में सबु है जाधे कैल प्रेरित करौ। उनर नौ छ वरिष्ठ साहित्यकार श्री दिनेश ध्यानी ज्यू।

भौत भल लागौ आपूं दगै बात करिबेर धन्यवाद सप्रेम.

प्रस्तुति~राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
फोटो- एडिट बाय नितेश मेहरा।
सर्वाधिकार@सुरक्षित
श्री रमेश हितैषी

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