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ठुल दाज्यू

कुमाऊँनी भाषा में संस्मरण, ठुल दाज्यू (बड़े भाई साहब)Kumauni Language Memoir Thul Dajyu or elder brother

--:ठुल दाज्यू :--
(बड़े भाई साहब)
लेखिका: अरुण प्रभा पंत 

मैं आपण ठुल दाज्यूक निकांस्सि बैण (सबसे छोटी बहन) भयूं। हमौर सब जणि (लोग) मिलै बेर पंद्र (पंद्रह) जणिनौक (लोगों का) परवार (परिवार) भौय।  अज्यान हम ग्यार (ग्यारह) जणि यो कुड़ि (घर) में रुनू।  म्यार इज बाब भौत्तै बुढ़ि ग्यान।ठुलदा कं मिलै बेर हम आठ भै बैणी छां (हैं)।  आब द्वि ठुल दिद और और एक दादौक ब्या है गो, दिदी आपण सौरास में और दाद ब्या बाद भैर कै नौकरी में न्हैं गेयी।  पुजि पाति और जागर में ऐयीं फिर न्हें ग्यान ड्यूट में।

आब तो उनैरि लै एक चेलि छू नानी नानि।ठुल दिदी लै आपण गौं पन सौरास में रुनीऔर कभै कभै उनी।  म्यार बाबूक आंख खराब छन, भौत बर्स पैल्ली कमल बाय (काला मोतिया) में उनार आंख न्हैं ग्यान।  मेरि इज लै आब मुणी मुणी (थोड़ा थोड़ा) काम करनी और बाबुक काम लागि रुनी।  सब काम धाम हमार ठुल दाज्यू और बोज्यू करनी, उनार लै चार नानतिन छन स्कूल पढ़नी हम सब जणि गौंक स्कूल में पढ़नू जानु।सब व्यवस्था हमरि दाद बोज्यू करनी, और हमरि बोज्यू सबनैक सेवा टहल में रत्तै बै ब्याल जांलै लागी रुंछन, सब कुनी भैरब जौ च्योल और दमयंती जै ब्वारि पुण्यैल मिलैं।

हमर बाबुक आंख जाई बाद सब भै बैणिनौक भार हमर ठुल दाज्यूल भली कै उठा।  आय लै हम द्वि बैणी और द्वि भाय और दाज्यूनाक चार नानतिन गौंक स्कूल में दगड़ै पढ़नू जानु।  हमन कं कभैलै के कमी महसूस नि भै सबन कं बरोबर प्यार और ममता मिलैं।  जब सब कुनी कि त्वील भगवान थैं के मांगौ तो मैं योयी मांगनू कि म्यार दाद बोज्यूऔर उनार नानतिनाक खुटन में कभै क्वे कान् (कांटा)लै झन बुड़ौ।

हमार साक्षात भगवान हमार ठुल दाज्यू और बोज्यू छन।  आपुं सब बताओ कि मैं के गलत कुणयूं!

नोट:-ऐसे परिवार पहाड़ों में बहुत से मिल जायेंगे या।  जो कुछ मैंने लिखा है सौ प्रतिशत सही है।  मेरी इस आत्मकथनात्मक अंश में अनेक लुप्तप्राय कुमाऊनी शब्द हैं उनको सभी जन आत्मसात करें और अपनी कुमाऊनी बोली के प्रसार में योगदान करें।
नमस्कार सुप्रभात।

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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