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रधुली इज बाबू फसक


रधुली इज बाबू फसक

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लेखक: कैलाश सिंह 'चिलवाल'

रधुली इज: सुनो हो! आजकल फरवरी में "लव वीक" चल रहा ठैरा फिर।

रधुली बाबू: के भय यो लव वीक?
रधुली इज:- किलै अंग्रेज इस हफ्ते भर प्यार करने वाले ठैरे बल हो....जैसे बेली "हग डे" था बल...

रधुली बाबू:- छि छि....नरकी भै पै तौ अंग्रेज रैंनकार....किलै इतु ज्यादे किस लिए खाते है ....ओह ईजा दिन भर हग भरी रहते है ये....☺️☺️☺️

राधुली इज:---अरे हग मल्लप गले मिलना होता है...तुम भी एकदम गवाड़ी ही ठैरे हो😊😊.....
आज किस डे और भोल हू वैलेंटाइन है बल आजि।

रधुली बाबू:--हा हा ये बेलेंटाइन तो मुझको पता है यार...किलै पिछले साल जब तुमारे साथ उ पार्क में पिकनिक गए थे...तो उ लाठी डंडे वाले नहीं आ गए थे फिर....अरे उ बजरंग दल वाले....

रधुली इज:--यार रधुली बाबू...हमारे समय में तो के नी होता था पै ये प्यार व्य्यार वाले त्योहार हो....हमारा तो रोज ही वैलेंटाइन ठैरा वो भी दिल से....आई लभ यो💐💐💐💐💐💐💐💐💐

कैलाश सिंह'चिलवाल'। 13/02/2019
 

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