
पहाड़ी पालक (Spinach)
'पहाड़ी पालक' हेतु उत्तराखंड की पहाड़ियों की ठंडी जलवायु काफी बेहतर मानी जाती है। पहाड़ी पालक के कंटीले बीज होते हैं। पत्तियाँ मैदानी पालक की तुलना में कम चौड़ी होती हैं। यह भारत के गर्म भागों में आमतौर पर खेती की जाने वाली पालक स्पिनैसिया ओलेरासिया से भिन्न होती है। पालक में बड़ी मात्रा में आयरन होता है और अगर इसे ठीक तरीके से लिया जाए तो हीमोग्लोबिन एवं लाल रक्त कणों में वृद्धि करता है। इस प्रकार यह खून की कमी में बहुत फायदेमंद है। पालक कैल्सियम का भी अच्छा स्रोत है। इसके अतिरिक्त अन्य क्षारीय तत्व भी इसमें काफी मात्रा में होते हैं, जो ऊतकों के लिए बहुत जरूरी हैं। यह ईरान तथा उसके आस पास के क्षेत्र का देशज है। ईसा के पूर्व के अभिलेख चीन में हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि पालक चीन में नेपाल से गया था। 12वीं शताब्दी में यह अफ्रीका होता हुआ यूरोप पहुँचा।
पालक से मिलने वाला सबसे अच्छा फायदा यह है की अन्य हरी सब्जियों की अपेक्षा इसमें विटामिन ‘ए’ ज्यादा होता है, यह विटामिन ‘ए’ की धनी सब्जी है। विटामिन ‘ए’ स्वास्थ्य, खासकर आँखों के लिए लाभकारी है। विटामिन ‘ए’ की कमी से रतौंधी रोग हो जाता है। इस प्रकार रतौंधी में पालक बहुत ही महत्वपूर्ण सब्जी है। पालक में बड़ी मात्रा में आयरन होता है और अगर इसे ठीक तरीके से लिया जाए तो हीमोग्लोबिन एवं लाल रक्त कणों में वृद्धि करता है। इस प्रकार यह खून की कमी में बहुत फायदेमंद है। पालक कैल्सियम का भी अच्छा स्रोत है। इसके अतिरिक्त अन्य क्षारीय तत्व भी इसमें काफी मात्रा में होते हैं, जो ऊतकों के लिए बहुत जरूरी हैं। कच्चा पालक खाने में कड़वा और खारा लगता है, परन्तु यह गुणकारी होता है। दही के साथ कच्ची पालक का अथाणा व रायता बहुत स्वादिष्ट और लाभकारी होता है। पालक में ये सब पोषक तत्व होते है – पानी 92.1, प्रोटीन 2.0, वसा 0.7 और कार्बोहाइड्रेट 2.9, रेशा 0.6 प्रतिशत है। इसमें खनिज 1.7, कैल्सियम 73, फॉस्फोरस 21 तथा लौह 10.9 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम है। विटामिन ‘ए’ 2,600 से 3,500 अंतर्राष्ट्रीय यूनिट, नियासिन 0.5 मि.ग्रा., रिबोफ्लोविन 60 माइक्रो ग्राम तथा विटामिन ‘सी’ 28 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम होता है।
सामान्य फायदे व उपयोग:
- बाल गिरना– बाल झड़ने की बीमारी में कच्चे पालक का सेवन करना चाहिए, इससे बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।
- कम रक्तचाप के रोगियों को रोजाना पालक की सब्जी का सेवन करना चाहिए। माना जाता है कि यह रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- थायरॉइड में एक कप पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
- पालक के रस से कुल्ला करने से दांतों की समस्याओं, मुंह की बदबू जैसे विकार दूर हो जाते हैं।
- दिल की बीमारियों से ग्रस्त रोगियों को रोजाना एक कप पालक के जूस में 2 चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए।
- खून की कमी दूर करने के लिए आधे गिलास पालक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर 50 दिनों तक पियें इससे खून की कमी अवश्य दूर होगी। स्त्रियों को गर्भावस्था में पालक का सेवन जरुर करना चाहिए ।
- पालक के रस का निरन्तर सेवन करने से चेहरे के रंग में निखार आ जाता है। रक्त बढ़ता है। इसका रस, कच्चे पत्ते या छिलके सहित मूंग की दाल में पालक की पत्तियाँ डालकर सब्जी खानी चाहिए।
- फटी एडियों को ठीक करने के लिए पालक को कच्चा ही पीसकर पैरों में लेप करें। दो-चार घण्टे बाद धोयें, लाभ होगा।
- ताजे पालक के रस को रोज पीने से याददाश्त बढ़ती है। इसमें आयोडीन होने की वजह से यह दिमागी थकान से छुटकारा दिलाता है।
- पीलिया के दौरान रोगी को पालक और कच्चे पपीते का रस मिलाकर देना चाहिए।
- पालक के रस को आधा-आधा कप रोजाना तीन चार बार पीने से दस्त बन्द हो जाते हैं और शरीर में ताकत भी बढती है।
- जिन लोगो को पेशाब कम आने या रुकावट की समस्या हो तो हरे नारियल के पानी में पालक के रस को समान मात्रा में मिलाकर रोजाना दो बार पीने से पेशाब खुलकर आता है।
- पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी कब्ज़ दूर होती है। कुछ दिन लगातार पालक अधिक मात्रा में खाने से पेट के रोगों में लाभ होता है।
- गले का दर्द –पालक के पत्ते उबालकर पानी छान लें और पत्ते भी निचोड़ लें। इस गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।
- दमा, खाँसी, गले को जलन, फेफड़ों को सूजन और टीबी – हो तो दो चम्मच मेथी दाना पीसकर दो कप पानी में तेज उबालते हुए एक कप पानी रहने पर छानकर इसमें एक कप पालक के रस और स्वादानुसार शहद मिलाकर रोजाना दो बार पीने से इन सभी रोगों में लाभ होता है। फेफड़ों को ताकत मिलती है। बलगम पतला होकर बाहर निकल जाता है। पालक के रस के कुल्ले करने से भी लाभ होता है।
इन बातों ध्यान रखना भी जरूरी है
अधिक मात्रा में पालक खाने से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से गठिया रोग या हड्डियों से जुडी समस्या हो सकती है का भी खतरा बढ़ता है। इसके अलावा पालक में कैल्शियम और फॉस्फोरस होता है जो मिलकर कैल्शियम फॉस्फेट बनाता है जो पानी में घुलता नहीं है जिससे पथरी बन जाती है। इसलिए पथरी के रोगियों को पालक का सेवन कम करना चाहिए।

श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक प्रोफाइल पर जायें
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